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बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय..

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय। यानी कि गुरु ही जीवन में स'चा मार्गदर्शक होता है। व्यक्ति के सर्वागीण विकास में गुरु की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। ज्ञान हमें शक्ति देता है और प्रेम हमें परिपूर्णता देता है। ऐसी सोच रखने वाले शिक्षक को प्रणाम। हमारे देश में डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी तरह दुनिया के अन्य देशों में भी शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है। प्रत्येक देश में अलग-अलग तारीख को यह दिवस मनाया जाता है। इसके महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने पांच अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस घोषित कर रखा है।

By Edited By: Published: Wed, 05 Sep 2012 09:20 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2012 12:44 PM (IST)
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय..

नई दिल्ली। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय। यानी कि गुरु ही जीवन में सच्चा मार्गदर्शक होता है। व्यक्ति के सर्वागीण विकास में गुरु की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।

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ज्ञान हमें शक्ति देता है और प्रेम हमें परिपूर्णता देता है। ऐसी सोच रखने वाले शिक्षक को प्रणाम। हमारे देश में डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी तरह दुनिया के अन्य देशों में भी शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है। प्रत्येक देश में अलग-अलग तारीख को यह दिवस मनाया जाता है। इसके महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने पांच अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस घोषित कर रखा है।

आधुनिक भारत के निर्माण में यदि कहा जाए कि शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तो यह कहना गलत नहीं होगा।

शिक्षाविदों ने छात्रों को शिक्षा देकर देश का भविष्य तो तैयार किया साथ ही अपना योगदान विज्ञान, साहित्य, योग, राजनीति में भी दिया। इस वजह से आज भारत की पहचान एक सशक्त राष्ट्र के रूप होती है।

ऐसे शिक्षकों में भारत के पहले उप राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राघाकृष्णन, जिनके जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है के अलावा डॉ. शंकर दयाल शर्मा, मदन मोहन मालवीय, सीवी रमण व शांति स्वरूप भटनागर जैसे कई नाम शमिल हैं।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

5 सितंबर 1888 को दक्षिण भारत के तिरुत्त्तानी स्थान पर देश के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था जो बाद में देश के राष्ट्रपति भी बने। वे पढ़ाई पूरी करने के बाद मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के दर्शन विभाग में शिक्षक बने। शिक्षण क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के कारण इनकाजन्म दिवस पर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मदन मोहन मालवीय

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने भारत माता की सेवा में जीवन अर्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना कर ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करने का काम किया जो देश का गौरव बढ़ा सकें। वे देश भक्त, ब्रह्माचर्य, व्यायाम व आत्म-त्याग में काफी बढ़ा स्थान रखते थे।

शांति स्वरूप भटनागर

शांति स्वरूप भटनागर का जन्म पाकिस्तान के साहपुर में हुआ था। वे इंग्लैंड से शिक्षा प्राप्त करने बाद देश लौटे तो वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में योगदान दिया। विज्ञान के क्षेत्र में उनका काफी सराहणीय योगदान रहा है। काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रीज रिसर्च की स्थापना डॉ. भटनागर के नेतृत्व में हुई थी।

सीवी रमण

सीवी रमण का पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकट रमण है। इनका जन्म 7 नवंबर 1888 को तिरुचिरापल्ली में हुआ था। वे भौतिकी और गणित के विद्वान थे। विज्ञान के प्रति उनका काफी लगाव था। उन्होंने तारकनाथ पालित, डॉ. रास बिहारी घोष और आशुतोष मुखर्जी के प्रयास से एक साइंस कालेज खोला। वे सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन पर प्राध्यापक पद पर आए गए। एक वे ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के विश्वविद्यालय में भी शामिल हुए। वे रमण प्रभाव की खोज के लिए वे जाने जाते हैं।

रामधारी सिंह दिनकर

23 सितंबर 1908 को रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के मुंगेर जिले में हुआ। पटना विश्वविद्यालय के बीए करने के बाद वे एक कॉलेज में शिक्षक हो गए। वे बिहार स्थित भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। वे स्वतंत्रता के पहले विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए। स्वतंत्रता के बाद वे राष्ट्रकवि के रूप में भी जाने जाते हैं।

सर तेज बहादुर सप्रू

सर तेज बहादुर सप्रू का जन्म 8 दिसंबर 1875 में यूपी के अलीगढ़ में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इलाहाबाद कोर्ट में वकील के रूप में की। महात्मा गांधी से प्रभावित सप्रू असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय योगदान दिया।

डॉ. बीरबल सहनी

डॉ. बीरबल सहनी भारत के एक प्रतिष्ठित भू वैज्ञानिक माने जाते हैं। उन्होंने बीरबल सहनी इंस्टीच्यूट की स्थापना लखनऊ में की थी। उन्होंने 1929 इंग्लैंड से डी.एससी की डिग्री भी प्राप्त की। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने योगदान देने के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में शिक्षक के रूप में योगदान भी दिया।

डॉ. भगवान दास

भगवान दास नाद योग के शिक्षक थे। इनसे कई देशों के नागरिक प्रभावित हुए थे। वे बौद्ध भिक्षु के संपर्क में आए और योग हासिल की। एशिया में नेपाल श्रीलंका, भारत घूम कर जनसेवा भी की।

जेपी कृपलानी

जेपी कृपलानी एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ सक्रिय शिक्षक भी थे। इनका पूरा नाम जीवत राम भगवान दास कृपलानी पूरा नाम था। इनका जन्म 11 नवंबर 1888 में हुआ। वे गांधी विचार के समर्थक थे और कांग्रेस से भी जुड़े थे। वे बिहार स्थित मुजफ्फरपुर कॉलेज में अंग्रेजी और इतिहास के व्याख्याता भी 1912-17 तक रहे हैं। देश की आजादी के समय में 1946-47 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा

देश के राष्ट्रपति रह चुके शंकर दयाल शर्मा की पहचान के एक योग्य शिक्षक के रूप में भी था। डॉ. शंकर दयाल 1946 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में लॉ के शिक्षक के रूप में योगदान दिया था। उसके बाद 1952 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 1918 में जन्मे डॉ. शर्मा 1992 से 97 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे।

आज कैसे मनाया जाता है यह दिवस

आज भी शिक्षक दिवस आते ही सबसे पहले लोगों के जहन में डॉक्टर राधाकृष्णन का नाम ही आता है। स्कूल, कालेज व विभिन्न शिक्षा प्रतिष्ठानों में बड़े ही धूमधाम से इस दिन को मनाया जाता है। यह एक ही दिन तो ऐसा है जब हम शिक्षकों की पूरे साल के प्रयास को सम्मान देते हैं। शिक्षक सिर्फ वह नहीं होता जो हमें किताबी ज्ञान दें, बल्कि शिक्षक वह भी हैं जो हमें जीवन के फलसफे को समझने में मदद करें और जीवन की राह आसान कर दें।

छात्र भिन्न-भिन्न तरीके से शिक्षकों का अभिवादन करतें हैं। उन्हें कार्ड देकर, फूल व गिफ्ट से उनका सम्मान करके। उनके लिए कविताएं लिखकर उन्हें मैसेज करके। लेकिन शिक्षकों को सबसे बड़ा तोफा तभी मिल जाता है जब छात्र अपने जीवन में सफल होता है।

शिक्षक दिवस पर मैसेज

-हेलन कल्डिकॉट का मानना है कि शिक्षक हमारे जीवन व समाज के वह महत्वपूर्ण सदस्य हैं जिनके प्रोफेशनल प्रयास का असर धरती के भाग्य पर भी पड़ता दिखाई देता है।

-अलबर्ट आइनस्टाइन ने कहा कि शिक्षक छात्र की अंदरुनी शक्ति व क्षमताओं को उबारने में मदद करते हैं।

-ए पी जी अब्दुल कलाम ने कहा कि शिक्षा किसी बाल्टी को भरने जैसी नहीं है, बल्कि आग में रोशनी देने जैसी होती है।

-कवि गुरु रविंद्र नाथ टैगौर ने कहा कि शिक्षक केवल जीवन के द्वार खोलने में मदद कर सकते हैं, लेकिन उस राह पर चलना या न चलना यह तो व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है।

-ज्ञान के दो बच्चे होते हैं, एक हमारा खुदका ज्ञान और दूसरा हम जहां से जानकारी व ज्ञान इकट्ठा करते हैं।

-इन सभी चीजों में शिक्षक हमारी भरपूर मदद करतें हैं। इस तरह के मैसेज करके शिक्षकों को उनकी कृतज्ञताओं के लिए सम्मानित किया जा सकता है।

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