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आर्थिक सुधारों का नया दौर शुरू करेगा आज आने वाला बजट

शनिवार को लोकसभा में पेश होने वाला मोदी सरकार का पहला पूर्ण आम बजट हर आंख से आंसू पोंछने वाला साबित हो सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बजट में दूसरे दौर के अहम आर्थिक सुधारों का श्रीगणेश कर सकते हैं। यही नहीं, सब्सिडी की चोरी रोकने को प्रतिबद्ध

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 06:51 AM (IST)Updated: Sat, 28 Feb 2015 09:53 AM (IST)
आर्थिक सुधारों का नया दौर शुरू करेगा आज आने वाला बजट

नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंंजन]। शनिवार को लोकसभा में पेश होने वाला मोदी सरकार का पहला पूर्ण आम बजट हर आंख से आंसू पोंछने वाला साबित हो सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बजट में दूसरे दौर के अहम आर्थिक सुधारों का श्रीगणेश कर सकते हैं। यही नहीं, सब्सिडी की चोरी रोकने को प्रतिबद्ध सरकार जन धन योजना, आधार और मोबाइल नंबर के तालमेल से केवल जरूरतमंदों तक सब्सिडी पहुंचाने की ठोस व्यवस्था कर सकती है। आम करदाताओं के लिए कुछ रियायतों की घोषणा के साथ ही खजाने की सेहत संभालने को भी वित्त मंत्री संसाधन जुटाने के नए रास्ते तलाश सकते हैं।

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बजट से ठीक एक दिन पहले संसद में पेश आर्थिक समीक्षा से जो संकेत मिल रहे हैं, उनसे स्पष्ट है कि सरकार अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के उपायों से जुड़े कुछ अहम एलान करेगी। समीक्षा बताती है कि आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था आठ से 10 फीसद की रफ्तार प्राप्त कर सकती है। लिहाजा बजट की घोषणाएं भी उसी के अनुरूप होंगी। आकलन का आधार वर्ष बदलने से चालू वित्त वर्ष के दौरान लगभग साढ़े सात फीसद (7.4) की आर्थिक विकास दर की बात पहले ही आ चुकी है। अगले वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान विकास दर के 8.1 से 8.5 फीसद रहने की उम्मीद है।

आर्थिक सुधारों का जनादेश

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यम की अगुआई में तैयार आर्थिक समीक्षा 2014-15 में कहा गया है, 'सरकार को आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने का राजनीतिक जनादेश मिला हुआ है। साथ ही वैश्विक माहौल भी विकास दर को नई ऊंचाई पर ले जाने में सहायक साबित हो सकता है। इस वजह से दोहरे अंक की विकास दर (कम से कम 10 फीसद) अब संभव दिखती है। देश की हर गरीब जनता के आंख के आंसू पोंछने का यह मौका है। यह माहौल देश में बड़े आर्थिक सुधारों को शुरू करने के लिए भी बहुत माकूल है।'

कारोबार करना होगा आसान

जहां तक आर्थिक सुधारों की बात है तो सरकार बजट में प्रतिस्पर्धी और सुलझी हुई टैक्स नीति, निवेश को प्रोत्साहित करने वाले कदम, कारोबार आसान बनाने और उसकी लागत कम करने के साथ-साथ श्रम सुधारों पर जोर दे सकती है। समीक्षा में घरेलू बचत को बढ़ावा देने की जरूरत भी बताई गई है। लिहाजा बजट में जेटली इसके लिए भी कुछ उपाय कर सकते हैं।

सब्सिडी पर सख्त होगी सरकार

समीक्षा के साफ संकेत हैं कि सरकार अपने संसाधनों को अब बहुत सोच समझ कर खर्च करने वाली है। सब्सिडी को लेकर सरकार का रवैया और सख्त होगा। सिर्फ उसे ही सब्सिडी दी जाएगी जिसको इसकी जरूरत होगी। हालांकि यह भी तय है कि सब्सिडी पूरी तरह से खत्म नहीं होगी। इसी तरह से दर्जनों की संख्या में केंद्रीय खजाने से चल रहे कार्यक्रमों की संख्या सीमित की जाएगी।

राज्यों को ज्यादा से ज्यादा फंड

सीधे राज्यों के हाथों में ज्यादा से ज्यादा फंड दिया जाएगा। निजी निवेश को प्रोत्साहन देने में मोदी सरकार का यह बजट मील का पत्थर साबित हो सकता है। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को दी जाने वाली राशि बढ़ेगी, लेकिन इनके आंवटन का तरीका बदलेगा। साथ ही नारी शक्ति को बढ़ावा देने का जो सिलसिला पिछली वर्ष के बजट से शुरू किया गया था, उसे और पुरजोर तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सेवाओं को पहुंचाने के लिए भी बजट की खास कोशिश दिखेगी।

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