जीएसटी लागू होने पर कम नहीं होगा तंबाकू उत्पादों पर टैक्स
राज्यों को अगर सरकार का प्रस्ताव रास आया तो जीएसटी लागू होने पर तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बोझ कम नहीं होगा। केंद्र ने तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी की उच्चतम दर 26 प्रतिशत
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। राज्यों को अगर सरकार का प्रस्ताव रास आया तो जीएसटी लागू होने पर तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बोझ कम नहीं होगा। केंद्र ने तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी की उच्चतम दर 26 प्रतिशत लागू करने के साथ ही अतिरिक्त सैस लगाने का प्रस्ताव किया है।
केंद्र ने इस अतिरिक्त सैस की दर तंबाकू उत्पादों पर मौजूदा टैक्स और जीएसटी की उच्चतम दर के बीच अंतर के बराबर रखने का प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल में रखा है। ऐसे में अगर केंद्र के इस प्रस्ताव पर राज्य सहमत हो जाते हैं तो जीएसटी लागू होने पर तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बोझ कम नहीं होगा।
केंद्र के इस प्रस्ताव पर 18 और 19 नवंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा हुई थी। हालांकि इस संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका था। वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं और यही काउंसिल जीएसटी के संबंध में निर्णय करने वाली शीर्ष संस्था है।
सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का प्रस्ताव किया है और इसके लागू होने पर केंद्र तथा राज्यों के करीब दर्जनभर परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी लागू होने पर सरकार तंबाकू उत्पादों पर सैस लगा सकती है जिसकी दर जीएसटी की सर्वोच्च दर यानी 26 प्रतिशत से निश्चित रूप से अधिक होगी। सूत्रों ने कहा कि इस सैस की दर तंबाकू उत्पादों पर फिलहाल लग रहे टैक्स तथा जीएसटी की अधिकतम दर के अंतर के बराबर होगी।
फिलहाल गुटखा व अन्य तंबाकू उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 80 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए अतिरिक्त सैस लगाने पर जीएसटी लागू होने पर भी तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का बोझ इतना ही बना रहेगा। इसके साथ ही तंबाकू पर लगने वाले इस सैस से जुटाई जाने वाली राशि का इस्तेमाल राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए किया जा सकता है।
हालांकि राज्यों ने अतिरिक्त सैस लगाने का विरोध किया है। राज्यों की दलील है कि जीएसटी लागू होने पर टैक्स लगाना इसकी भावना के खिलाफ है।
केंद्र को जीएसटी लागू होने के बाद शुरुआती पांच वर्षो तक राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई करनी है। इस अवधि के बाद इस सैस से जुटाई जाने वाली राशि को केंद्र और राज्यों के बीच बांटा जा सकता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति ने तंबाकू उत्पादों पर 40 प्रतिशत टैक्स लगाने की सिफारिश की थी। साथ ही समिति ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार जीएसटी की इस दर के ऊपर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क भी लगा सकता है।
केंद्र और राज्यों के करों को जोड़ें तो फिलहाल तंबाकू उत्पादों पर कुल कर बोझ 100 प्रतिशत से भी अधिक है।
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