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मजदूरी करने पर सौ कोड़े पाएंगी महिलाएं

21वीं सदी के मुहाने पर खड़ा देश भले ही महिलाओं की आजादी का दंभ भर रहा हो, लेकिन आज भी रूढि़वादी समाज की बंदिशें महिलाओं के पैरों में बेडि़यां बनी हैं। विरोध करने पर महिलाओं को कुचलने से भी परहेज नहीं किया जाता।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 18 May 2015 12:38 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2015 08:25 AM (IST)
मजदूरी करने पर सौ कोड़े पाएंगी महिलाएं

पंकज त्यागी, खरखौदा (मेरठ)। 21वीं सदी के मुहाने पर खड़ा देश भले ही महिलाओं की आजादी का दंभ भर रहा हो, लेकिन आज भी रूढि़वादी समाज की बंदिशें महिलाओं के पैरों में बेडि़यां बनी हैं। विरोध करने पर महिलाओं को कुचलने से भी परहेज नहीं किया जाता।

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जी हां, ऐसा ही तालिबानी फरमान रविवार को पीपलीखेड़ा गांव में पंचायत ने सुनाया है। पंचायत ने नट समाज की महिलाओं के घर से बाहर निकलकर मेहनत-मजदूरी करने पर रोक लगा दी है। न मानने पर सौ कोड़े और एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाने का एलान किया है।

पीपलीखेड़ा में नट जाति के करीब सौ परिवार रहते हैं। आधुनिकता की दौड़ में इस समाज की पारिवारिक परंपरा कला व करतब आदि को ग्रहण लग गया। रोजगार की समस्या खड़ी होने के साथ परिवार की जीविका के लाले भी पड़ गए।

आखिर समाज की महिलाओं ने घर से निकलकर मेहनत-मजदूरी करने की ठानी तो समाज के ठेकेदारों ने विरोध शुरू कर दिया। प्रेमवती, गीता, पिंकी व ओमवती आदि ने बताया कि कुछ दिनों से वे पास की निर्माणाधीन मीट फैक्ट्री और मकानों पर मजदूरी कर किसी तरह से बच्चों की परवरिश कर रही थीं, लेकिन समाज के स्वयंभू ठेकेदारों ने उनका विरोध शुरू कर दिया।

उनके घर से बाहर निकलने पर बंदिश लगा दी। हुक्म नहीं माना तो आरोपियों ने कोड़े बरसाकर दंडित किया। फिर भी हार न मान कर पीडि़ताओं ने दो दिन पहले थाने में न्याय की गुहार लगाई तो पुलिस उन्हें टरकाने में जुट गई। इधर, रविवार को बस्ती में समाज के ठेकेदारों की पंचायत हुई और तालिबानी फरमान सुनाते हुए महिलाओं के घर से बाहर निकलकर काम करने पर एक लाख रुपये व सौ कोड़े दंड का जुर्माना लगा दिया।

पुलिस से शिकायत करने पर प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपये और जुर्माना भी लगाया। न देने पर बस्ती छोड़ने का फरमान भी सुना दिया। इस फैसले से पीडि़त परिवारों में खौफ है। पूर्व प्रधान जहरूद्दीन ने बताया कि इस मामले को लेकर पीडि़त महिलाएं उनके पास आई थीं। उन्होंने थाने पर आरोपियों के खिलाफ तहरीर दिलाई, लेकिन कार्रवाई की जगह उन्हें मायूसी मिली।

खरखौदा थाना के एसओ मनोज का कहना है कि यह बड़ा मामला नहीं, बल्कि नट समाज की आपसी बातें हैं। प्रार्थनापत्र थाने पहुंचा होगा, तो जांच कराएंगे।


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