सुकमा हमला: मदद करने पहुंचे जवानों पर घरों से दागी गोलियां
सुकमा में हुए नक्सली हमले के दौरान जवान मदद की गुहार लगाते रहे लेकिन उन्हें स्थानीय स्तर पर भी मदद नहीं मिली।
नई दुनिया, रायपुर । बुरकापाल में एंबुश में फंसे जवान मदद की गुहार लगाते रहे लेकिन बगल में मौजूद उनके कैंप से बैकअप पार्टी को निकलने का मौका नहीं मिला। नक्सली दो घंटे तक तांडव मचाते रहे। बुरकापाल कैंप में जवान गोलियों की आवाज सुनते रहे लेकिन जब वे निकलने की कोशिश करते तो गांव के घरों के अंदर से गोलियां चलने लगतीं। दो घंटे तक मदद नहीं पहुंचने के जवानों के आरोपों की पड़ताल जागरण के सहयोगी अखबार नई दुनिया ने की, तब यह नई जानकारी मिली।
बुरकापाल पहुंची नई दुनिया की टीम ने वहां जवानों से बात की तो पता चला कि कैंप के अगल-बगल स्थित घरों में नक्सली मौजूद थे। उन्होंने कैंप से जवानों को निकलने ही नहीं दिया। दो घंटे बाद मौके पर पहली मदद सात किमी दूर चिंतागुफा से पहुंची। चिंतागुफा से निकले जवानों को भी रोकने के लिए रास्ते में जगह-जगह एंबुश बिछाया गया था। जवानों को रास्ता बदलकर पहुंचने में काफी वक्त लगा।
इस बीच नक्सली मौके से भाग चुके थे। दोरनापाल- जगरगुंडा मार्ग पर चिंतागुफा से करीब 7 किमी दूर बुरकापाल गांव है। सड़क पर बांई ओर बस्ती और सीआरपीएफ की 74 वीं बटालियन का कैंप है। सड़क की दूसरी ओर टूटा हुआ स्कूल भवन और खाली मैदान तथा जंगल है। जहां बुरकापाल बस्ती शुरू होती है उससे कुछ मीटर पहले पुल का निर्माण हो रहा है। यहीं जवानों की ड्यूटी थी। जवान दो भागों में बंटे थे और सड़क के दोनों ओर जंगल में चल रहे थे।
सड़क के बांई ओर चल रहे जवानों पर अचानक पेड़ों पर बैठे नक्सलियों ने फाइरिंग झाेंक दी। सड़क के दूसरी ओर चल रहे जवानों ने मदद के लिए सड़क पार करने की कोशिश की लेकिन उन्हें रोकने के लिए भी पार्टी तैनात थी। गोलियां उनकी ओर चलने लगीं तो उन्होंने सड़क के उस पार ही मोर्चा ले लिया।
इधर जो 36 जवान फंसे थे उन्हें कहीं से मदद नहीं मिल पाई। चिंतागुफा से भी बैकअप पार्टी रवाना हुई। चिंतागुफा के जवानों ने बताया कि घटनास्थल से कई किमी पहले सड़क पर फाइरिंग हो रही थी। आगे बढ़ने का चांस नहीं था। फिर हमने रास्ता बदला। जब पहुंचे तो नक्सली जा चुके थे। चिंतागुफा की पार्टी ने घायलों को उठाकर बुरकापाल कैंप पहुंचाया। तब बुरकापाल से कैंप से फोर्स बाहर आई।
स्थानीय पुलिस का जवान भी था टीम में
सीआरपीएफ व अन्य केंद्रीय बलों के साथ लोकल पुलिस का जवान जरूर तैनात किया जाता है। बुरकापाल में आरओपी टीम के साथ दो जवानों की ड्यूटी थी। घटना के दिन एक जवान छुट्टी पर था जबकि दूसरा साथ ही था। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से रायपुर में घायल जवानों ने कहा था कि स्थानीय पुलिस की मदद नहीं मिलती। इस आरोप को पुलिस व सीआरपीएफ दोनों खारिज कर रहे हैं।
सीआरपीएफ के एक अफसर ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि समन्वय में कोई कमी नहीं है। ग्राउंड पर हो सकता कि कहीं कभी दिक्कत आती हो। जवानों ने हताशा में आरोप लगाया होगा। इधर दोरनापाल के एसडीओपी विवेक शुक्ला ने नईदुनिया से कहा कि उस रोज भी पुलिस का एक जवान उनके साथ भेजा गया था।
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