अफगान के बहाने पाक एनएसए से मिलेंगी सुषमा!
विदेश मंत्री स्वराज 07-08 दिसंबर, 2015 को पाकिस्तान में होने वाली "हार्ट ऑफ एशिया" बैठक में भाग लेने जाएंगी।
नई दिल्ली। क्या जिस तरह से पेरिस में पर्यावरण बैठक के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच भेंट हुई है, वैसे ही क्या अफगानिस्तान के बहाने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर खान जंजुआ के बीच मुलाकात संभव है? कल जिस तरह से दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात सात समुंदर पार हुई है उससे इस बात की संभावना बलवती हुई है कि विदेश मंत्री स्वराज 07-08 दिसंबर, 2015 को पाकिस्तान में होने वाली "हार्ट ऑफ एशिया" बैठक में भाग लेने जाएंगी।
यह बैठक अफगानिस्तान को मदद देने के लिए बुलाई गई है जिसमें चीन, रूस, तुर्की, ईरान, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे अहम देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। सरकार ने अभी तक विदेश मंत्री को इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए आधिकारिक तौर पर मंजूरी नहीं दी है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सुषमा के बैठक में जाने का फैसला अंतिम समय में भी किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने लगभग एक महीने पहले ही भारतीय विदेश मंत्री को इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था। चूंकि भारत अपने हितों के लिए अफगानिस्तान को बहुत अहम मानता है इसलिए इस बैठक में अपना मजबूत प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहता है। खास तौर पर ऐसे समय जब अफगानिस्तान में हालात तेजी से बदल रहे हैं। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां तालिबान भी मजबूत हो रहा है और पाकिस्तान का हस्तक्षेप भी वहां बढ़ा है। ऐसे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को हार्ट ऑफ एशिया बैठक में भेज कर भारत अफगानिस्तान को अपने सहयोग को लेकर मजबूत संदेश देना चाहता है।
यही नहीं, मोदी और शरीफ की अनौपचारिक मुलाकात के बाद जिस तरह का माहौल बना है उससे अगले वर्ष के शुरुआत में होने वाले सार्क देशों की सालाना शीर्षस्तरीय बैठक को लेकर भी संभावनाएं पैदा हो गई हैं। इस बैठक में सभी सदस्य देशों के सरकारों के प्रमुखों के शामिल होना है। लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को देखते हुए सार्क बैठक को लेकर सवाल उठ रहे थे। अगर यह बैठक होती है तो मोदी इसमें हिस्सा लेंगे।
बताते चलें कि पीएम मोदी ने सोमवार को पेरिस में चल रहे पर्यावरण बैठक के बीच में कुछ देर के लिए मुलाकात की थी। शरीफ ने इस बैठक को बहुत ही बेहतर माहौल में की गई बातचीत बताया है। अभी यह तो नहीं कहा जा सकता कि इससे दोनों देशों के बीच बातचीत का थमा सिलसिला फिर शुरु हो सकता है लेकिन इतना तय है कि सितंबर, 2015 में एनएसए बातचीत रद्द होने के बाद जो माहौल बना है उसमें निश्चित तौर पर बदलाव आया है। अब देखना है कि क्रिकेट श्रृंखला, एनएसए स्तरीय बातचीत जैसे मुद्दों पर दोनों देशों की सरकारें कैसे आगे बढ़ती हैं।