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वोडाफोन मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी सरकार

लंबित सुधार लागू करने के बाद मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की चिंताएं दूर करने के क्रम में एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार वोडाफोन टैक्स मामले में बंबई हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी।

By Murari sharanEdited By: Published: Wed, 28 Jan 2015 09:34 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jan 2015 10:02 PM (IST)
वोडाफोन मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी सरकार

नई दिल्ली जागरण ब्यूरो। लंबित सुधार लागू करने के बाद मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की चिंताएं दूर करने के क्रम में एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार वोडाफोन टैक्स मामले में बंबई हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी।

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इस फैसले में कहा गया था कि वोडाफोन पर 3,200 करोड़ रुपये कर देनदारी नहीं बनती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय हुआ। केंद्र ने निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक के 74 प्रतिशत एफडीआइ प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार दुनियाभर में निवेशकों को स्पष्ट और सकारात्मक संदेश देना चाहती है कि वह पारदर्शिता, निष्पक्षता व कानून के अनुसार कार्य करेगी। इसलिए सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती न देने का फैसला किया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) तथा अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कानूनी सलाह लेने के बाद यह निर्णय लिया। इसी पर कैबिनेट ने बुधवार को मुहर लगाई है। रोहतगी ने बंबई हाई कोर्ट का फैसला स्वीकार करने की सलाह दी थी।

प्रसाद ने कहा कि यह मामला पूर्ववर्ती संप्रग सरकार से विरासत मंे मिला। राजग सरकार ने इसे दुरुस्त करने की कोशिश की है। विगत में कर नीति लचर होने से निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है। इसके चलते निवेशकों और सरकार के विचारों में टकराव की स्थिति भी बनी है। अब साफ संदेश है। कर बनता है तो उसे वसूला जाएगा, लेकिन कानूनी प्राधिकार के बिना इसे बेवजह खींचा जा रहा है तो सरकार निष्पक्षता से काम करेगी। यह स्पष्ट संकेत है। इससे हमारी निष्पक्षता का पता चलता है।

केंद्र ने यह कदम प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान के एक दिन बाद उठाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने विगत में हुई ज्यादती को काफी हद तक दूर किया है। जल्द ही बाकी अनिश्चिताएं भी दूर हो जाएंगी। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में भी कहा कि था सत्ता में आने पर पार्टी संप्रग के टैक्स आतंकवाद को दूर करेगी।

क्या है वोडाफोन मामला?

वोडाफोन इंडिया सर्विसेज ने 2010 में ब्रिटेन की अपनी मूल कंपनी को शेयर हस्तांतरित किए। आयकर विभाग ने कहा कि कंपनी ने अपने शेयरों की कीमत कम आंकी है। कंपनी पर टैक्स बनता है। विभाग ने 17 जनवरी, 2014 को कंपनी को नोटिस भेजा।

उसके बाद 3,200 करोड़ रुपये कर देने का आदेश जारी किया। 27 जनवरी, 2014 को वोडाफोन ने बंबई हाई कोर्ट की शरण ली। कंपनी ने दलील दी कि भारतीय कानून के हिसाब से उस पर टैक्स नहीं बनता। हाई कोर्ट ने 10 अक्टूबर को कंपनी के पक्ष मंे निर्णय दिया।

एचडीएफसी के एफडीआइ प्रस्ताव को मंजूरी

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों संबंधी समिति (सीसीईए) ने एचडीएफसी बैंक के 74 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ संबंधी प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी है। विदेशी निवेश एवं संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) इसे पहले ही मंजूरी दे चुका है।

इस फैसले से देश में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आएगा। इसके अलावा सीसीईए ने दवा कंपनी ल्यूपिन के विदेशी निवेश प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इससे करीब 6,099 करोड़ रुपये का एफडीआइ निवेश देश में आएगा।


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