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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कैदियों पर खर्च का कैग से हो ऑडिट

न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि कैग से खर्च का ऑडिट कराना जरूरी है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 12:12 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 12:35 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कैदियों पर खर्च का कैग से हो ऑडिट

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने जेल व्यवस्था में सुधार के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को बुधवार को कई निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि विभिन्न राज्यों में कैदियों पर होने वाले खर्च में भारी विसंगति है। कोर्ट ने इस खर्च को ऑडिट कराने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की सहायता से योजना बनाने को कहा। इसके अलावा कोर्ट ने जेल कर्मचारियों के उचित प्रशिक्षण के लिए भी कदम उठाने को कहा।

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न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि कैग से खर्च का ऑडिट कराना जरूरी है। इसे जल्द और संभव हो तो 31 मार्च से पहले कराया जाए। इससे यह पता चलेगा कि इस मद में सही तरीके से पैसा खर्च हो रहा है या नहीं। पैसे का लाभ कैदियों को मिल पा रहा है या नहीं। कोर्ट ने न्याय मित्र द्वारा बताई गई खासकर 2015-2016 के खर्च की विसंगति का जिक्र किया। इसके मुताबिक, बिहार की जेलों में खर्च प्रति कैदी 83,691 रुपये प्रति वर्ष है जबकि यह राजस्थान में यह केवल 3,000 रुपये प्रति वर्ष है। इसी तरह नगालैंड में यह प्रति कैदी 65,468 रुपये प्रति वर्ष है जबकि पंजाब में यह 16,669 रुपये प्रतिवर्ष है।

कोर्ट को बताया गया कि 50,000 जेल कर्मचारियों में से केवल 7,800 कर्मचारियों को थोड़ा प्रशिक्षित किया गया है। इस पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय से जेल कर्मचारियों को मार्च अंत तक प्रशिक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा।

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