Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, आंगनवाड़ी पात्रता के लिए विवाहित और अविवाहित बेटी में भेद नहीं

संबंधित मामले में 2006 में मुखिया/पंचायत सचिव ग्राम पंचायत मीरापुर (कुमरपाकर) पंचायत द्वारा एक विज्ञापन जारी कर ग्राम पंचायत मीरापुर ब्लाक मुरौल जिला मुजफ्फरपुर के एक पंचायत केंद्र में आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 10:38 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 10:38 PM (IST)
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में नियुक्ति के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बिहार में आंगनवाड़ी सेविका के पद पर चयन के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता पर विचार के लिए विवाहित और अविवाहित बेटी के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस हृषिकेश राय की पीठ ने मुजफ्फरपुर जिले के ब्लाक मुरौल में पंचायत केंद्र में आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के मुद्दे पर विचार करते हुए यह बात कही। पीठ ने कहा, 'दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता पर विचार करने के उद्देश्य से विवाहित बेटी और अविवाहित बेटी के बीच कोई भेद नहीं किया जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में यह काफी आम है कि पैतृक घर और मातृ गृह कभी-कभी एक ही गांव में हो सकते हैं।'

loksabha election banner

संबंधित मामले में 2006 में मुखिया/पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत मीरापुर (कुमरपाकर) पंचायत द्वारा एक विज्ञापन जारी कर ग्राम पंचायत मीरापुर, ब्लाक मुरौल, जिला मुजफ्फरपुर के एक पंचायत केंद्र में आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे।

वाद के पहले दौर में, जब याचिकाकर्ता कुमारी रेखा भारती की नियुक्ति हुई तो एक शिकायत में सवाल उठाए गए। शिकायत के आधार पर जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अपीलकर्ता (भारती) की नियुक्ति निरस्त कर दी गई। जब नियुक्ति निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी गई तो पटना हाई कोर्ट ने अपीलकर्ता (भारती) की बर्खास्तगी को खारिज करते हुए जिलाधिकारी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद उचित आदेश पारित करने का निर्देश जारी किया। हाई कोर्ट के आदेशानुसार जिलाधिकारी, मुजफ्फरपुर ने दिशानिर्देशों के आधार पर आदेश पारित किया कि शिकायतकर्ता नियुक्ति के लिए इस आधार पर अपात्र थी कि उसके पिता उस समय वैशाली में सरकारी शिक्षक थे। अपीलीय प्राधिकारी अर्थात आयुक्त द्वारा जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर के आदेश की पुष्टि की गई।

नियुक्ति रद करने (जिसकी पुष्टि अपीलीय प्राधिकारी ने की थी) के आदेश के खिलाफ शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की, जिसकी खंडपीठ ने पुष्टि की। हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता का पैतृक घर वैशाली में है, जहां उसके पिता शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, लेकिन वह मुजफ्फरपुर जिले में नियुक्ति के लिए पात्र है, जहां उसकी शादी हुई थी।

वहीं, शीर्ष अदालत ने कहा कि दिशानिर्देशों के खंड-3 को पढ़ने से स्पष्ट है कि सरकारी कर्मचारी की बेटी/पत्नी/बहू जैसे रिश्तेदार आंगनवाड़ी सेविका के रूप में नियुक्ति के लिए अपात्र हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि खंडपीठ ने दिशानिर्देशों पर उचित परिप्रेक्ष्य में विचार नहीं किया और इसने एकल न्यायाधीश के फैसले की पुष्टि की।

इसने अधिकारियों को नए सिरे से अधिसूचना जारी करने, केंद्र के लिए आंगनवाड़ी सेविका के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित करने और वर्तमान में लागू दिशानिर्देशों के अनुसार नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि अपीलकर्ता (भारती) और नौवें प्रतिवादी (शिकायतकर्ता) को नई अधिसूचना के अनुसार आवेदन करने से रोका नहीं गया है। यदि वे आवेदन करते हैं तो उनके दावों पर भी अन्य उम्मीदवारों के साथ विचार किया जाएगा। इस तरह की नई अधिसूचना जारी होने और चयन होने तक नौवीं प्रतिवादी आंगनवाड़ी सेविका के रूप में बने रहने की हकदार है।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.