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सुप्रीम कोर्ट बोला, सरकार 24 घंटे में बताए कैसे काबू करेगी प्रदूषण, नहीं तो फिर कोर्ट उठाएगा कुछ असाधारण कदम

कोर्ट ने कहा कि हमने केंद्र और राज्यों की ओर से पेश किए गए दस्तावेज देखे हैं जिनमें कहा गया है कि सब कुछ हुआ है अगर सब होता तो क्या प्रदूषण का स्तर बढ़ता। जब सब प्रयास हो रहे हैं तो प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 09:32 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:42 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट बोला, सरकार 24 घंटे में बताए कैसे काबू करेगी प्रदूषण, नहीं तो फिर कोर्ट उठाएगा कुछ असाधारण कदम
आयोग बना है जो निर्देश देता है, लेकिन हो कुछ नहीं रहा : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आने पर सुप्रीम कोर्ट ने निराशा और नाराजगी जताते हुए गुरुवार को कहा कि जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा और वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा, आप कहते हैं कि बहुत से उपाय किए गए, राज्य कह रहे हैं कि उन्होंने सभी उपाय किए हैं। जब सब प्रयास हो रहे हैं तो प्रदूषण का स्तर बढ़ क्यों रहा है। 25-30 सदस्यों का आयोग बना है जो निर्देश देता है, लेकिन हो कुछ नहीं रहा। लगता है हम अपना समय बर्बाद कर रहे हैं।

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कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह 24 घंटे में बताए कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या योजना और उपाय हैं। कोर्ट ने कहा कि वह ब्यूरोक्रेसी में रचनात्मकता का संचार नहीं कर सकते। अगर अथारिटीज प्रदूषण पर नियंत्रण करने में नाकाम रहती हैं तो फिर कोर्ट कुछ असाधारण कदम उठाएगा। यह कहते हुए कोर्ट ने मामले को शुक्रवार को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान दिए।

कोर्ट ने कहा कि हमने केंद्र और राज्यों की ओर से पेश किए गए दस्तावेज देखे हैं जिनमें कहा गया है कि सब कुछ हुआ है, अगर सब होता तो क्या प्रदूषण का स्तर बढ़ता। जब सब प्रयास हो रहे हैं तो प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ रहा है। अब तो पराली जलाना भी कम हो गया। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इसे देखें और गंभीरता के साथ इसका हल लेकर आएं। मेहता ने कहा कि वह कोर्ट का मंतव्य समझ रहे हैं, कोर्ट उन्हें एक दिन का समय दे, वह आकर बताएंगे। पीठ ने कहा कि 24 घंटे दे रहे हैं।  सरकार को समस्या हल करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।

कोर्ट के कंधे पर रखकर न चलाएं बंदूक

पीठ ने कहा कि कोर्ट के कंधे पर रखकर बंदूक न चलाएं। इतने उपाय करने के बाद भी हम प्रदूषण नियंत्रित करने में नाकाम रहे। मेहता ने कहा कि यह नहीं समझा जाना चाहिए कि कुछ नहीं हो रहा। पावर स्ट्रक्चर में बदलाव करने की जरूरत है। कोर्ट थोड़ा समय दे, वह उच्चस्तर पर बात करके बताएंगे।

विकास सिंह बोले, नियमों का हो रहा उल्लंघन

याचिकाकर्ता के वकील विकास सिह ने कहा कि अगर नियमों का कड़ाई से पालन हो तो किसी प्रतिबंध की जरूरत नहीं है। कोर्ट एक टास्क फोर्स गठित करे जो आदेशों और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करे। अगर प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है तो इसका मतलब है कि नियमों का उल्लंघन हो रहा है।

केंद्र और दिल्ली सरकार ने दिया कार्रवाई का ब्योरा

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को काबू करने के लिए किए गए उपायों और उल्लंघन करने वालों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा दिया। केंद्र और राज्यों ने निर्देशों के पालन के बारे में विस्तृत हलफनामे भी कोर्ट में दाखिल किए।

दिल्ली में स्कूल खोलने और रेड लाइट आन गाड़ी आफ पर भी सवाल

वायु प्रदूषण बढ़ा होने के बावजूद दिल्ली में स्कूल खोले जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने दिल्ली से कहा, आप कहते थे कि वर्क फ्राम होम लागू है और आप लाकडाउन लगा देंगे बशर्ते केंद्र और एनसीआर के राज्य भी लाकडाउन लगाएं। लेकिन तीन-चार साल के छोटे बच्चे स्कूल जा रहे हैं। दिल्ली के वकील अभिषेक मनु सिघवी ने कहा कि अभी हाल में ही स्कूल खुले हैं। अभिभावकों की सहमति पर ही बच्चे स्कूल जाएंगे। विकल्प दिया गया है। कमेटी की रिपोर्ट को देखते हुए स्कूल खोले गए हैं। जस्टिस रमना ने स्कूल खुलने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बड़े लोग घर से काम करेंगे और बच्चे स्कूल जाएंगे। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली के चौराहों पर रेड लाइट आन गाड़ी आफ के पोस्टर लेकर खड़े युवाओं पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि यह पापुलर स्लोगन के सिवाय और कुछ नहीं है।


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