फ्लैट खरीदारों के हित पहली प्राथमिकता: सुप्रीम कोर्ट
हालांकि कोर्ट ने कंपनी को थोड़ी राहत देते हुए 2000 करोड़ रुपये कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने के लिए 5 नवंबर तक का समय दे दिया है।
नई दिल्ली, (माला दीक्षित)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर साफ किया कि उसकी पहली प्राथमिकता फ्लैट खरीदारों का हित है। कोर्ट ने कहा कि फ्लैट खरीदारों की फिक्र कोई नहीं कर रहा कि वे सड़क पर हैं। राहत के लिए इस फोरम से उस फोरम का चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें उनका पैसा या फ्लैट मिलना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने आर्थिक संकट से गुजर रहे और दीवालिया प्रक्रिया का सामना कर रहे जेपी समूह को झटका देते हुए पैसा एकत्र करने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे के अधिकार बेचने की इजाजत देने की मांग ठुकरा दी।
हालांकि कोर्ट ने कंपनी को थोड़ी राहत देते हुए 2000 करोड़ रुपये कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने के लिए 5 नवंबर तक का समय दे दिया है। पहले कंपनी को यह रकम 27 अक्टूबर तक जमा करानी थी। ये आदेश मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने जेपीएल कंपनी की अर्जी खारिज करते हुए दिया है। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से गत 11 सितंबर के आदेश में आंशिक बदलाव करने की मांग की थी। कंपनी ने कहा था कि 2000 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए उसे यमुना एक्सप्रेसवे की संपत्ति के अधिकार सिंगापुर की एक कंपनी को स्थानांतरित करने की इजाजत दी जाए ताकि उससे 2500 करोड़ रुपये मिल सकें और वो पैसा जमा करा पाए।
#JPHomebuyer जेपी समूह की यमुना एक्सप्रेसवे की संपत्ति सिंगापुर की कंपनी को बेचने की इजाज़त पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित।@JagranNews— Mala Dixit (@mdixitjagran) October 25, 2017
बुधवार को अर्जी पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल, आइडीपीआइ बैंक, फ्लैट खरीदारों यमुना एक्रसप्रेसवे अथारिटी और इंटरिम रिज्यूलूशन प्रोफेशनल (आइआरपी) के वकीलों ने अर्जी का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे के अधिकार जेपी इंफ्राटेक कंपनी के पास हैं जिसके खिलाफ दीवालिया कानून में कार्यवाही चल रही है। ऐसे में जेएएल कंपनी उन अधिकारों को नहीं बेच सकती। जबकि जेपी कंपनी के वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी का कहना था कि जिस कंपनी के अधिकार बेचने की बात चल रही है वह कंपनी 17000 करोड़ की है। अगर खराब स्थिति में भी कंपनी की कीमत लगाई जाए तो 13000 करोड़ से ज्यादा बैठती है जबकि जेपी इंफ्राटेक पर सबकुल मिला कर सिर्फ 9000 करोड़ का कर्ज है। ऐसे में 2500 करोड़ की हिस्सेदारी बेचने में क्या हर्ज है। इस पैसे के आने से कंपनी फ्लैट खरीदारों को उनके फ्लैट दे पाएगी। सिब्बल ने कहा कि अभी तक 5000 फ्लैट दिये जा चुके हैं।
दिसंबर तक कंपनी 1800 फ्लैट और दे देगी। इसके बाद हर महीने 600 फ्लैट दिये जाएंगे। कंपनी फ्लैट खरीदारों की मदद करना चाहती है। उन्होंने कहा कि जेपी की टाउनशिप में सत्तर फीसद निर्माण हो चुका है बस फिनिशिंग बची है जो पैसा आने के बाद हो सकेगी। लेकिन कोर्ट इन दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ।पीठ ने कहा कि वे चाहते हैं कि जो फ्लैट खरीदार पैसा वापस चाहते हैं उन्हें उनका पैसा या फ्लैट मिले। इसीलिए कोर्ट ने कंपनी को पैसा जमा करने का आदेश दिया है। शाम को कोर्ट ने सुनवाई करके फैसला सुरक्षित रख लिया था जो कि बाद में वेबसाइट पर जारी हुआ।