मेडिकल की खाली सीटें भरने को लेकर एक औऱ काउंसलिंग की मांग को कोर्ट ने ठुकराया
भूषण का कहना था कि जब देश में डॉक्टरों की भारी कमी है, ऐसे में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटें खाली रहना राष्ट्रहित में नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में खाली रह गई एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों को भरने के लिए एक और दौर की केंद्रीयकृत काउंसलिंग कराने की मांग शुक्रवार को ठुकरा दी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस आशय की मांग करने वाली गैर सरकारी संगठन संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी। कहा कि अब इस बारे में कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण कोर्ट से एक और दौर की केंद्रीयकृत काउंसलिंग का आदेश देने का अनुरोध करते रहे।
भूषण का कहना था कि जब देश में डॉक्टरों की भारी कमी है, ऐसे में एमबीबीएस और बीडीएस की सीटें खाली रहना राष्ट्रहित में नहीं है। सीटे खाली रहने से उन मेधावी बच्चों का भी एक साल का नुकसान होगा, जिन्होंने नीट की रैंकिंग में स्थान पाया है, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं मिला। उनका कहना था कि देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 2 से 3 हजार और बीडीएस की भी करीब इतनी ही सीटें खाली रह गई हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय काउंसलिंग का समय बीच चुका है। उनका कहना था कि एक और दौर की केंद्रीयकृत काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया जाए और उसमें नीट परीक्षा की रैंकिंग के हिसाब से छात्रों को प्रवेश दिया जाए।
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