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हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ठोका जुर्माना

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतनगुदार की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 06:23 AM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 06:23 AM (IST)
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ठोका जुर्माना

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने केस निष्पादित होने के बाद भी याचिका दायर करने वाले शख्स पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस व्यक्ति ने नोएडा में अपनी जमीन के लिए शीर्ष अदालत के फैसले के बाद मिले मुआवजे को चुनौती देने के लिए अर्जी दायर की थी। कोर्ट ने कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है। इस मामले में पहले ही फैसला हो चुका है।

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जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतनगुदार की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। इस व्यक्ति ने अर्जी के जरिये नोएडा में प्रस्तावित उद्योग विकास के लिए अधिगृहीत अपनी जमीन के लिए मिले मुआवजे को चुनौती दी थी। पीठ ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के जज दो माह बैठे और इस मसले का समाधान किया। हमारे फैसले के बाद फिर अर्जी दायर की गई। पहले के ही सवाल दोबारा उठाए गए। यह कानून का दुरुपयोग है। यह क्या हो रहा है? हम इसका ऐसा खर्च आप पर थोपेंगे जिसे देश के लोग याद रखेंगे।'

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इसके पहले याचिकाकर्ता रणवीर सिंह के वकील ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी याचिका गलत तरीके से खारिज कर दी। साल 2005 से 2010 के दौरान ग्रेटर नोएडा और नोएडा के गांवों में बड़े पैमाने कृषि और किसानों की आबादी वाली जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। पीठ ने कहा कि जब शीर्ष अदालत ने इस मामले पर फैसला सुना दिया है तो इसे बार-बार नहीं उठाया जा सकता है। पीठ ने पहले 25 लाख रुपये जुर्माना लगाने को सोचा था लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गरीब किसान इतनी बड़ी राशि को वहन नहीं कर सकता है। इस पर पीठ ने कहा, 'हम सब जानते हैं। क्या आप हमारे फैसले के बाद मिले मुआवजे पर टिप्पणी चाहते हैं? फैसले के बाद हर कोई करोड़पति बन गया है।'

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पीठ ने याचिकाकर्ता को दो माह में पांच लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन वेलफेयर फंड में जमा कराने का निर्देश दिया। ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रणवीर सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने भूमि अधिग्रहण के मिले मुआवजे को चुनौती दी थी। फिर वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए जहां अदालत ने फैसला सुनाया।


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