सुप्रीम कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स को दो हजार करोड़ जमा कराने का दिया आदेश
जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से अधर मेें लटका फ्लैट खरीददारों का भविष्य सुरक्षित नजर आने लगा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेएएल) के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से अधर मेें लटका फ्लैट खरीददारों का भविष्य सुरक्षित नजर आने लगा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ कंपनी का प्रबंधन अंतरिम रेस्यूलूशन प्रोफेशनल (आइआरपी) को वापस सौंपते हुए फ्लैट खरीददारों के हितों का स्पष्ट तौर पर ध्यान रखने का आदेश दिया बल्कि दूसरी ओर जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड को 27 अक्टूबर तक दो हजार करोड़ रुपये कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने का भी आदेश दिया ताकि फ्लैट खरीददारों के हित सुरक्षित रहें।
जेपी इंफ्राटेक (जेआइएल) दिवालिया मामला
- 27 अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट में जमा करानी है रकम
- कोर्ट ने इंफ्राटेक का प्रबंधन तत्काल प्रभाव से आइआरपी को सौंपा
-45 दिन में योजना पर मांगी रिपोर्ट, कहा फ्लैट खरीददारों का रखें ध्यान
- कोर्ट की अनुमति के बगैर जेआइएल और जेएएल के निदेशक व प्रबंध निदेशक नहीं छोड़ेंगे देश
ये आदेश मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के गत 4 सितंबर के अंतरिम आदेश में बदलाव की मांग करने वाली आइडीबीआइ बैैंक की अर्जी पर सुनवाई के बाद दिए। गत 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट खरीददारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के जेपी इंफ्राटेक कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। जिसके परिणाम स्वरूप दिवालिया कानून के तहत कंपनी का प्रबंधन आइआरपी के हाथों से वापस जेपी इंफ्राटेक के पास चला गया था।
सोमवार को मामले पर बहस के दौरान केंद्र सरकार और बैैंक की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से आदेश में बदलाव करने की गुहार लगाते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश से जेपी इंफ्राटेक कंपनी का प्रबंधन आइआरपी के हाथ से वापस कंपनी के पास चला गया है, आदेश देते वक्त कोर्ट की मंशा यह नही रही होगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट को कम से कम आइआरपी को सभी संबंधित पक्षकारों के हितों को देखते हुए एक योजना तो बनाने का समय दिया जाए। दिवालिया कानून के तहत आइआरपी को ही योजना बनाने का अधिकार है। उधर फ्लैट खरीददारों की ओर से पेश वकील अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि फ्लैट खरीददार मध्यम और निम्न आयवर्ग के लोग हैैं जिन्होंने अपने जीवन की सारी कमाई लगा दी है। कोर्ट आदेश देते समय उनके हित सुरक्षित करे। कोर्ट इसके लिए किसी को उनकी ओर से नियुक्त करे।
दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने 4 सितंबर के आदेश मे बदलाव करते हुए जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड का प्रबंधन तत्काल प्रभाव से वापस आइआरपी को सौंप दिया। कोर्ट ने कहा कि आरआरपी 45 दिन में अपनी अंतरिम योजना कोर्ट में दाखिल करेगा और योजना तैयार करते समय फ्लैट खरीददारों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े को कोर्ट का मददगार नियुक्त करते हुए कहा कि दिवालिया कानून के तहत होने वाली बैठक में वे भाग लेंगे और फ्लैट खरीददारों के हितों को संरक्षित करेंगे। कोर्ट ने कहा कि जेआइएल व जेएएल के निदेशक व प्रबंध निदेशक कोर्ट की अनुमति के बगैर देश छोड़कर नहीं जाएंगे।
कोर्ट ने कहा कि जय प्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) जो कि दिवालिया प्रक्रिया में पक्षकार नहीं है, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में 27 अक्टूबर तक दो हजार करोड़ रुपये जमा कराएगी। इसके लिए अगर कंपनी को अपनी कोई संपत्ति बेचनी पड़े तो वह ऐसा करने से पहले कोर्ट से इजाजत लेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ सभी तरह की लंबित दीवानी सुनवाइयों पर दिवालिया कानून की धारा 14(1)(ए) के तहत रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले ही कोर्ट कंपनी का प्रबंधन आइआरपी को दे चुका है। कोर्ट ने साफ किया कि वह ये आदेश दिवालिया कानून के प्रावधानों और फ्लैट खरीददारों के हितों को ध्यान में रखते हुए दे रहा है। कोर्ट इस मामले में 13 नवंबर को फिर सुनवाई करेगा।