माओवादियों की रिहाई पर केंद्र व ओड़िशा को नोटिस
ओड़िशा में माओवादियों को छोड़े जाने पर रोक की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस सेवानिवृत्त मेजर जनरल गगनदीप बख्शी की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। ओड़िशा में माओवादियों को छोड़े जाने पर रोक की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस सेवानिवृत्त मेजर जनरल गगनदीप बख्शी की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।
ओड़िशा के कोरापुट जिले से गत 23 मार्च को माओवादियों ने बीजद विधायक झिन्न हिक्का का अपहरण कर लिया था। हिक्का की रिहाई के बदले उन्होंने जेल में बंद 29 माओवादियों को छोड़े जाने की मांग रखी है। गुरुवार को मामले पर सुनवाई के दौरान बख्शी के वकील ने विधायक के बदले माओवादियों की रिहाई का विरोध किया और कोर्ट से दखल देने की मांग की। उन्होंने कहा कि ओड़िशा सरकार ने पांच माओवादियों को रिहा कर दिया है और वह जल्दी ही दो और को रिहा करने वाली है। ओड़िशा सरकार माओवादियों की जमानत अर्जी का विरोध नहीं कर रही है। इससे प्रतीत होता है कि सरकार और माओवादियों के बीच साठगांठ है। इस दलील पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता जमानत अर्जी का विरोध नहीं करने के मामले में दखल देना चाहता है तो उसे निचली अदालत में जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि वे इसमें दखल नहीं दे सकते, उनका दायरा सीमित है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार को राजकुमार अपहरण मामले में कोर्ट द्वारा तय दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाए। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रोहिंग्टन नरीमन ने कहा कि याचिका में नक्सल समस्या से निपटने के लिए एक समान नीति बनाए जाने की मांग की गयी है, यह एक वृहत मुद्दा है। पीठ ने याचिका पर ओड़िशा व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। बख्शी की याचिका में बढ़ती माओवाद समस्या का उल्लेख किया गया है। माओवादियों के आगे सरकार के समर्पण का विरोध करते हुए कहा गया है इससे सुरक्षा बलों का मनोबल टूटेगा।
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