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यूपी को झटका सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में दखल से किया इन्कार

हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला मुख्य सचिव की जानकारी में आना चाहिए। और कोर्ट ने मुख्य सचिव से निजी तौर पर हलफनामा मांग लिया था।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 25 Nov 2017 02:31 AM (IST)Updated: Sat, 25 Nov 2017 02:31 AM (IST)
यूपी को झटका सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में दखल से किया इन्कार
यूपी को झटका सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में दखल से किया इन्कार

माला दीक्षित, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के फर्जी आदेश के सहारे चीनी मिल के शक्कर की फ्री सेल किये जाने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इन्कार कर दिया है। हालांकि प्रदेश के मुख्य सचिव को हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय और दे दिया है।

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ये मामला त्रिवेणी शुगर इंडस्ट्री की सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित चीनी मिल का है। जिसने 2002 में स्थानीय अदालत के एक फर्जी आदेश के आधार पर चीनी की फ्री सेल कर दी थी। इसी मामले में हाईकोर्ट ने 15 नवंबर को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निजी तौर पर हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि प्रदेश सरकार इस मामले में कार्रवाई करेगी कि नहीं। सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने प्रदेश के वकील रवि प्रकाश मेहरोत्रा की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। लेकिन वे हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करने की समयसीमा एक सप्ताह के लिए बढ़ाए देते हैं। इससे पहले मेहरोत्रा की दलील थी कि हाईकोर्ट में इसी मामले की पहले सुनवाई हो चुकी है अब दोबारा से एक नयी याचिका पर हाईकोर्ट फिर सुनवाई शुरू कर दी है जो कि ठीक नहीं है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने अपने आदेश में प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों पर बेवजह की टिप्पणियां की हैं।

क्या है मामला

मामला थोड़ा पुराना जरूर है लेकिन काफी रोचक है। 10 अप्रैल 2002 के स्थानीय अदालत के फर्जी आदेश के आधार पर चीनी मिल ने शक्कर की फ्री सेल कर दी थी। इस मामले में 2004 में हाईकोर्ट में याचिका हुई जिसमें फर्जी आदेश के आधार पर शक्कर की फ्री सेल से चीनी मिल पर फायदा लेने का आरोप लगाया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर सीडी सीआईडी ने मामले की जांच की जिसमें कोर्ट के फर्जी आदेश के लिए वकील को जिम्मेदार ठहराया गया। कहा गया कि उस वकील की मृत्यु हो चुकी है। बाद में इसी आधार पर मामला बंद हो गया।

2010 में एक नयी जनहित याचिका हाईकोर्ट मे दाखिल हुई और उसमें मामले की सीबीआइ जांच मांगी गई। गत जुलाई में हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के गन्ना सचिव से कहा कि हलफनामा दाखिल कर बताओ कि क्या कार्रवाई की गई। सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि चीनी कंट्रोल और नियमन का मामला केन्द्र के आधीन आता है। प्रदेश सरकार का इसमें कोई लेना देना नहीं होता।

हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब से असंतुष्ट होते हुए 15 नवंबर के आदेश मे कहा कि या तो सचिव (चीनी) कोर्ट के आदेश का फर्जीवाड़ा कर कानून के उल्लंघन का परिणाम नहीं समझ सके या फिर वे चीनी मिल की तरफदारी कर रहे हैं। उनमें कानून के मुताबिक कार्रवाई करने का माद्दा नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला मुख्य सचिव की जानकारी में आना चाहिए। और कोर्ट ने मुख्य सचिव से निजी तौर पर हलफनामा मांग लिया था। हाईकोर्ट ने 27 नवंबर तक हलफनामा मांगा है।

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