ढाई महिने की बच्ची की हत्या में ताऊ, ताई, चाचा बरी
ताऊ की उम्र 75 वर्ष होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने से पहले ही छूट दे दी थी लेकिन 63 वर्षीय ताई और 57 वर्षीय चाचा पिछले छह साल से जेल में थे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने ढाई महीने की बच्ची की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा पाए ताऊ अरुप सरकार, ताई बिनपाणी सरकार और चाचा तपन सरकार को संदेह लाभ देते हुए बरी कर दिया है। ताऊ की उम्र 75 वर्ष होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने से पहले ही छूट दे दी थी लेकिन 63 वर्षीय ताई और 57 वर्षीय चाचा पिछले छह साल से जेल में थे।
न्यायमूर्ति जस्टिस रंजन गोगई और आर. भानुमति की पीठ ने पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिला अदालत व कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला निरस्त करते हुए ये आदेश सुनाया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील राजकुमार गुप्ता की ये दलीलें स्वीकार कर लीं कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। इसके अलावा मृतक बच्ची की मां के साथ बाहर गई सास का बयान भी दर्ज नहीं हुआ है। दो पड़ोसी गवाह बयान से मुकर गए हैं। पूरा केस परिस्थितिजन्य साक्ष्यो पर आधारित है। कानून कहता है कि अगर परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर केस आधारित है तो साक्ष्य की कड़ियां पूरी होनी चाहिए जो कि इस मामले में नहीं हैं। गुप्ता ने कहा कि संदेह कितना भी गहरा क्यों न हो वो जबतक साबित नहीं होता उसके आधार पर सजा नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने दलीलें स्वीकार करते हुए तीनों को बरी कर दिया और और फैसले में कहा है कि बच्ची की हत्या करने के पीछे तीनों अभियुक्तों का समान इरादा था ये साबित नहीं होता इसके बगैर उन्हें आइपीसी की धारा 34 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। तीनों को धारा 302 के साथ 34 में उम्रकैद की सजा हुई थी।
क्या है मामला
अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना 5 अगस्त 1990 की है। शिकायतकर्ता मां अपनी ढाई महीने की बच्ची को जेठानी बिनपाणी सरकार के पास छोड़ कर बाहर तालाब पर गई। जब वह करीब 45 मिनट बाद लौटी तो उसे बच्ची चारपाई पर नहीं मिली। उसने घर में मौजूद जेठ, जेठानी और देवर से बच्ची के बारे में पूछा लेकिन उन लोगों ने कोई संतोषजनक जवाब नही दिया। बाद में ढूंढने पर बच्ची की लाश कुंए में तैरती मिली। बच्ची की मां ने जेठ जेठानी और देवर के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। जांच में पुलिस ने कहा कि परिवार में उन लोगों के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। बच्ची की मां का कहना था कि लड़की को जन्म देने के कारण उसे लगातार कोसा जाता था। शिकायत के आधार पर हत्या का केस दर्ज हुआ और ट्रायल के बाद अदालत ने तीनों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी।