बस्तर में म्यांमार की तरह नक्सलियों के खिलाफ कमांडो ऑपरेशन की तैयारी
बस्तर में भी म्यांमार की तरह के कमांडो ऑपरेशन की तैयारी है। यह ऑपरेशन नक्सल गढ़ सुकमा में होगा। निशाने पर माओवादियों की सबसे ताकतवर बटालियन और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का कमांडर हिडमा होंगे। देश के भीतर किसी एक नक्सल इलाके को घेर कर हमला करने की सुरक्षाबलों की
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबल के जवान नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी में हैं। बताया गया है कि बस्तर में भी म्यांमार की तरह के कमांडो ऑपरेशन की तैयारी है। यह ऑपरेशन नक्सल गढ़ सुकमा में होगा। निशाने पर माओवादियों की सबसे ताकतवर बटालियन और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का कमांडर हिडमा होंगे। देश के भीतर किसी एक नक्सल इलाके को घेर कर हमला करने की सुरक्षाबलों की यह पहली तैयारी है।
'नईदुनिया' को मिली जानकारी के मुताबिक इस हमले के लिए जवानों का चयन हो चुका है और करीब 6 सौ जवानों को विशेष कमांडो ट्रेनिंग के लिए पूर्वोत्तर के किसी सैन्य प्रशिक्षण केंद्र में भेज दिया गया है। नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा के लिए सोमवार को मंत्रालय में हुई बैठक से छनकर आई खबरें कहती हैं कि इस हमले की युद्ध स्तर पर तैयारियां जारी हैं।
जरूरत पड़ने पर इस ऑपरेशन में फोर्स हवाई हमले के विकल्प का भी इस्तेमाल करने की तैयारी में है। पीएम की हरी झंडी कई दिन से छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर भारी उथल पुथल मची हुई है। केंद्र सरकार के नक्सल मामलों के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के. विजय कुमार लगातार छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल इस प्रस्तावित ऑपरेशन के सूत्रधार हैं। यह सब कुछ प्रधानमंत्री की हरी झंडी के बाद ही होने जा रहा है।
इस बीच राज्य के गृह सचिव बीवीआर सुब्रमनियम भी बस्तर का दौरा कर आए हैं। अजीत डोवाल और के विजय कुमार लगातार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज और बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी से रणनीति से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत चर्चा कर रहे हैं ।
मंत्रालय स्थित उच्च पदस्थ सूत्रों से इस प्रस्तावित ऑपरेशन की जो जानकारियां मिलीं हैं उनके मुताबिक यह सब कुछ पिछले दिनों म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ हुए भारतीय सेना के ऑपरेशन की तर्ज पर होगा। फोर्स म्यांमार ऑपरेशन को सफल मॉडल मानती है और अब इरादा यह है कि नक्सल गढ़ सुकमा पर हमला कर माओवादियों की कमर तोड़ दी जाए। सुरक्षा बलों का मानना है कि सुकमा माओवादियों का सबसे मजबूत गढ़ है।
इस इलाके में ऑपरेट करने वाली माओवादी बटालियन को भी सबसे ताकतवर माना जाता है इस लिहाज से सबसे पहले इसी बटालियन को घेर कर मारने की रणनीति पर काम हो रहा है। 20-25 दिन चलेगा पिछले दिनों गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी सुकमा का दौरा कर चुके हैं और खबर है कि उन्होंने भी रणनीति का जायजा लिया और इस प्रस्तावित ऑपरेशन को हरी झंडी दी थी।
जानकार सूत्रों के मुताबिक जिस स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं उससे लगता है कि यह बड़ा ऑपरेशन दक्षिण बस्तर में माओवादियों के खिलाफ छोटे-मोटे युद्ध जैसा ही होगा। अनुमान है कि यह ऑपरेशन कम से कम 20-25 दिन तक चलेगा और सुरक्षा बलों के कमांडरों को उम्मीद है कि इस हमले से माओवादियों को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगेगा। यह भी उम्मीद की जा रही है कि यदि यह ऑपरेशन सफल होता है तो इसके बाद ऐसे और भी कमांडो ऑपरेशन माओवाद की चुनौतियों से जूझ रहे देश के अलग-अलग इलाकों में करने का रास्ता खुलेगा।
लोकल फोर्स पर भरोसा
गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक सबसे ख़ास बात यह है कि इस ऑपरेशन के लिए बस्तर में ही तैनात डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड यानी डीआरजी पर ही भरोसा जताया गया है। नक्सल मोर्चे पर इस फोर्स के अब तक के सफल प्रदर्शन को देखते हुए यह तय किया गया है कि स्ट्राइकिंग फोर्स याने हमला करने वाली फोर्स डीआरजी ही होगी।
जंगल में उतारे जाएंगे कमांडो
इस ऑपरेशन के लिए कमांडो हेलिकॉप्टर के जरिये जंगलों में उतारे जाएंगे। माओवादियों की पूरी लोकेशन ठीक तरह से मालूम कर उन्हीं इलाकों में जवानों को उतारा जाएगा। इस काम के लिए यूएवी और ड्रोन जैसी आधुनिक सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाएगा।
फाइनल वार
एक उच्च पदस्थ अफसर ने नाम न छपने की शर्त पर कहा कि यह तैयारी सुकमा से नक्सलियों के सफाए की है! यह फाइनल वार है! इस ऑपरेशन में हजारों जवान हिस्सा लेंगे। डीआरजी स्ट्राइक करेगी और बाकी के तमाम जवान घेराबंदी करेंगे। यह ऑपरेशन नक्सलियों की घेरेबंदी से शुरू होगा और फोर्स को उम्मीद है कि यह सुकमा में नक्सल सफाए के साथ खत्म होगा।
पढ़ेंः समर्पण की तैयारी कर रहे तीन नक्सलियों को साथियों ने मार डाला