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पीएम मोदी की नसीहत का सुब्रमण्‍यम स्‍वामी पर दिखा असर

पीएम मोदी द्वारा दिए गए सख्‍त संदेश के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने ट्वीट कर अपनी मंशा भी जता दी कि वह उनकी बात समझ गए हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 08:21 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2016 09:00 PM (IST)

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त संदेश क्या दिया, भाजपा सांसद सुब्रह्माण्यम स्वामी को गीता का ज्ञान मिल गया। स्वामी अपने ट्वीटों के जरिये भाजपा के लिए आए दिन असहज स्थिति पैदा करते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निशाना साधा था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के हालिया इंटरव्यू के बाद मंगलवार को स्वामी ने एक ट्वीट कर अपने सुर कुछ बदल जाने के संकेत दिए हैं। उन्होंने इसमें गीता के उपदेश के जरिये सुख-दुख और दुनिया में संतुलन के सिद्धांत की बात की है।

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हालांकि मोदी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वामी का नाम नहीं लिया था। लेकिन उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन की जिस तरह प्रशंसा की और उन पर लगाए जा रहे आरोपों को 'अनुचित' करार दिया, उससे साफ हो गया कि वह स्वामी से किस हद तक नाराज हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि कोई भी व्यक्ति व्यवस्था से ऊपर नहीं है।

स्वामी ने भी मोदी के संदेश का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन मंगलवार को ट्वीट कर अपनी मनोदशा बता दी। उन्होंने इसमें कहा, 'दुनिया अपने सामान्य संतुलन की अवस्था में रहती है। किसी एक सिरे पर किए छेड़छाड़ का असर सभी तरफ होता है। ऐसी सलाह कृष्ण ने दी है। सुख-दुखे..।' दरअसल, गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा है, 'सुख-दुखे समा कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ, ततो युद्धाये युज्यस्व नैवं पापम्वाप्स्यासी।' यानी, सुख-दुख, लाभ-हानि और हार-जीत में अपने को सम रखकर युद्ध करो। इस तरह तुम पाप की भागीदारी से बच सकते हो।

दरअसल, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी पिछले हफ्ते पार्टी और सरकार की नीतियों पर सीमा में रहकर बोलने की परोक्ष सलाह स्वामी को दी थी। लेकिन तब स्वामी ने मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से सीधे संपर्क की 'धौंस' दे डाली थी। लेकिन वह उस लक्ष्मण रेखा को समझ नहीं सके जो शीर्ष नेतृत्व ने उनके लिए भी खींच रखी है। पार्टी को इसका अंदाजा हो गया था। इसीलिए उसने इस हफ्ते मुंबई और चेन्नई के उन दो कार्यक्रमों को ही स्थगित कर दिया जिनमें स्वामी को बोलना था।

यूं तो स्वामी की प्रतिभा और क्षमता पर किसी को शक नहीं होता। लेकिन वह कब किस पर कितने आक्रामक हो जाएंगे, इस बारे में शायद उन्हें भी पता नहीं होता। स्वामी शुरू से इसी तरह के रहे हैं। तब ही तो कांग्रेस ने उन्हें 'भाजपा की ओर से दिए गए तोहफा' बताते हुए सतर्क भी किया था। कांग्रेस ने मंगलवार को भी कहा कि मोदी की टिप्पणी पहले आनी चाहिए थी।

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