बिहार से पीछे नहीं दिल्ली, स्कूल की बाउंड्री कूदकर भाग जाते हैं छात्र
बिहार की शिक्षा पद्धती पर सवाल उठाती हुई तस्वीरों को चर्चा में रहे अभी ज्यादा दिन हुए नहीं कि देश की राजधानी दिल्ली के स्कूल में भी एक ऐसा ही मामला सामना आया है। दिल्ली सरकार जहां शिक्षा में सुधार के लिए तरह-तरह के जतन कर रही है, वहीं बच्चे
नई दिल्ली। बिहार की शिक्षा पद्धती पर सवाल उठाती हुई तस्वीरों को चर्चा में रहे अभी ज्यादा दिन हुए नहीं कि देश की राजधानी दिल्ली के स्कूल में भी एक ऐसा ही मामला सामना आया है। दिल्ली सरकार जहां शिक्षा में सुधार के लिए तरह-तरह के जतन कर रही है, वहीं बच्चे छुट्टी होने से पहले ही बाउंड्री फांदकर भाग जाते हैं।
यह हाल है साउथ दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन के राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर-3 का। यहां पूरे समय तक बच्चों का स्कूल में रुकना मुश्किल है। कक्षाएं चलती रहती हैं और बच्चे बाउंड्री फांदकर निकल जाते हैं। इस विद्यालय के बच्चों को स्कूल में रोक पाना शिक्षकों के लिए मुश्किल हो रहा है।
यह हाल तब है जब दिल्ली सरकार स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षकों को सरकारी खर्चे पर विपश्यना तक करवाने की तैयारी में जुटी है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में अनुशासन की कमी होने के कारण बच्चे वहां नहीं रुकते। स्कूल के स्टाफ बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं।
अभिभावकों ने इसके लिए शिक्षकों को भी जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि बच्चों पर नियमित ध्यान दिया जाए और स्कूल का स्टाफ बच्चों को रोकने का प्रयास करे तो वे स्कूल से भाग नहीं पाएंगे। एक अभिभावक ने तो यहां तक कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का तरीका उतना रुचिकर नहीं है, जिससे बच्चों को कक्षा में बैठाए रखा जा सके।
उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने व उन पर ध्यान देने के जो तरीके हैं उन्हें सरकारी स्कूलों में भी लागू किया जाना चाहिए। हालांकि इस मामले पर स्कूल का पक्ष जानने के लिए प्रधानाचार्य वीर सिंह को कई बार फोन किया गया, लेकिन नेटवर्क प्रॉब्लम के कारण उनसे बात नहीं हो सकी।
बच्चों के घायल होने का खतरा
स्कूल के पीछे जिधर से कूदकर बच्चे भागते हैं, उधर बड़े-बड़े पत्थर व गड्ढे भी हैं। इस कारण बच्चों को चोट लगने का भी खतरा रहता है। कूदते समय अक्सर बच्चों को चोट लग भी जाती है। बाउंड्री फांदने के बाद बच्चे स्कूल के पीछे बने जंगल में चले जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस जंगल में नशेड़ी-जुआड़ी अक्सर अड्डा जमाकर बैठते हैं। ऐसे में बच्चों के गलत संगति में पड़ने का खतरा भी बना रहता है। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से इस बारे में बात करने का मन बनाया है।
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