तालिबानी हमले के शिकार छात्र को मिली नई जिंदगी
पिछले वर्ष 16 दिसंबर को पेशावर के एक स्कूल में तालिबानी हमले में 132 छात्र और दर्जन भर अन्य लोग मारे गए थे। उस दौरान 13 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम खान अपने एक दोस्त को बचाने की कोशिश में गोलियों की चपेट में आ गया था। बाद में शरीर न हिला-डुला
नई दिल्ली, जागरण डेस्क। पिछले वर्ष 16 दिसंबर को पेशावर के एक स्कूल में तालिबानी हमले में 132 छात्र और दर्जन भर अन्य लोग मारे गए थे। उस दौरान 13 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम खान अपने एक दोस्त को बचाने की कोशिश में गोलियों की चपेट में आ गया था। बाद में शरीर न हिला-डुला पाने के कारण उस पर लकवे का खतरा मंडराने लगा था, लेकिन अब लंदन के एक अस्पताल में हुई सर्जरी के बाद इब्राहिम ने फिर से चलना-फिरना शुरू कर दिया है। रीढ़ में लगी चोट के बावजूद अपने पैरों पर खड़े होने की सफलता, इब्राहिम और मेडिकल साइंस के लिए किसी अजूबे से कम नहीं।
इब्राहिम की आपबीती
इब्राहिम के अनुसार घटना के बाद उसकी आंखें अस्पताल में खुली थीं। उसे एके-47 की पांच गोलियां लगी थीं, जिसमें से एक उसकी रीढ़ के सबसे निचले हिस्से में लगी थी। वह अपना शरीर नहीं हिला पा रहा था। डॉक्टरों के अनुसार उसका फिर से चलना-फिरना असंभव था। हालांकि उसकी मदद के लिए इमरान खान सहित कई हस्तियों ने भी आवाज उठाई थी, लेकिन हर तरफ से निराशापूर्ण जवाब ही आया था।
निराशा में आशा
लंदन के हार्ले स्ट्रीट क्लीनिक के न्यूरोसर्जन डॉ. इरफान मलिक ने 'असंभव को संभव' कर दिखाया। हाल में छह घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद उन्होंने इब्राहिम को उसके पैरों पर खड़ा कर दिया। डॉ. मलिक के शब्दों में, 'ऑपरेशन के एक हफ्ते बाद ही यह अजूबा हमारे सामने था। इब्राहिम की सेहत में उम्मीद से कहीं अधिक सुधार हुआ है।'
डॉ. मलिक के अनुसार इब्राहिम का केस बेहद जटिल था। गोली उसकी रीढ़ के एक जोड़ को भेद गई थी। गोली के छर्रे रीढ़ में ही मौजूद थे। इसके अलावा, घटना के आठ महीने बाद रीढ़ गलत तरीके से जुड़ने लगी थी, जिससे उसकी मांसपेशियों पर जोर पड़ रहा था। डॉ. मलिक के अनुसार, 'जब हम वहां पहुंचे तो इब्राहिम वह करवट भी नहीं ले सकता था। यह देखकर मैंने बहुत उम्मीद भरे शब्द नहीं कहे थे, सिर्फ यही सोचा था कि हमें प्रयास करना चाहिए।'
सर्जरी और उसके बाद
28 अगस्त को हुए ऑपरेशन में इब्राहिम की रीढ़ की परतों को ठीक किया गया। सर्जरी के पहले हफ्ते बाद उसके ठीक होने की रफ्तार कुछ धीमी रही, लेकिन जल्दी ही इब्राहिम ने टांगें हिलानी शुरू कर दी थीं। पिछले हफ्ते उसने कुछ कदम चलने की शुरुआत भी की थी। डॉ. मलिक के अनुसार, उसे माता-पिता अब पार्क में घुमाने ले जाते हैं।' इब्राहिम की मां के अनुसार, 'पहले मैं यह देखकर रोती थी कि मेरा बेटा कभी चल नहीं पाएगा। अब उसे ठीक होता देखकर मेरे आंसू नहीं रुकते।' खुद इब्राहिम के शब्दों में, 'अब मैं स्कूल जा सकूंगा, जीवन जी सकूंगा। अब उम्मीद सामने खड़ी है।'