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नए सिरे से तैयार करनी होगी निर्यात की रणनीति

फियो ने देश के होने वाले निर्यात और विश्व बाजार में उत्पादों की मांग को लेकर एक अध्ययन किया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 09:22 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 09:22 PM (IST)
नए सिरे से तैयार करनी होगी निर्यात की रणनीति

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विकसित देशों की संरक्षणवादी नीति बढ़ते निर्यात की संभावनाओं के लिए खतरा बन रही है। ऐसे देशों में भी जहां आर्थिक विकास की दर ठीक-ठाक है वहां आयात का बाजार सिकुड़ रहा है। इन देशों की इस प्रवृत्ति के चलते देश के लिए निर्यात की रणनीति बदलना जरूरी हो गया है। निर्यातक संघों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) का मानना है कि निर्यात की मौजूदा स्थिति को बनाये रखने के लिए जरूरी है कि उन उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया जाए जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग तो है, परंतु भारत से होने वाला उनका निर्यात लगातार कम हो रहा है।

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फियो ने देश के होने वाले निर्यात और विश्व बाजार में उत्पादों की मांग को लेकर एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उन 200 उत्पादों को शामिल किया गया है जिनकी विश्व आयात में हिस्सेदारी 58 फीसद है। जबकि भारत से होने वाले निर्यात में इनकी हिस्सेदारी 50 फीसद है। लेकिन इन उत्पादों के वैश्विक निर्यात भारत की हिस्सेदारी मात्र 1.43 फीसद है। फियो ने तीन वर्ष 2006, 2011 और 2016 के निर्यात आंकड़ों के आधार पर अध्ययन किया है।

फियो के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय ने बताया कि दुनिया के बाजार में भारतीय निर्यात की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए इन उत्पादों पर फोकस किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि फियो ने अपने अध्ययन में इन 200 उत्पादों को चार श्रेणी में बांटा है। पहली श्रेणी में ऐसे 119 उत्पाद हैं जिनका भारत से निर्यात निरंतर वृद्धि पर है। जबकि दूसरी श्रेणी में ऐसे 20 उत्पाद हैं जिनके निर्यात में 2011 में कमी आई लेकिन 2016 में यह फिर से बढ़ गया है। तीसरी श्रेणी में ऐसे 49 उत्पाद हैं जिनमें 2011 में तो निर्यात बढ़ा लेकिन 2016 में कम हो गया। इस श्रेणी में आभूषणों, डायमंड, मोटर कार और अन्य वाहन शामिल है। लेकिन चौथी श्रेणी जिस पर फियो सबसे अधिक ध्यान देने पर जोर दे रहा है उसमें 12 ऐसे उत्पाद हैं जिनमें निर्यात निरंतर गिर रहा है। इनमें कॉटन जर्सी, ट्राउजर, हैंडबैग और फोटोसेंसेटिव सेमीकंडक्टर डिवाइस शामिल हैं।

सहाय ने कहा कि निर्यात को ऊपर ले जाने के लिए आखिरी दोनों श्रेणियों के उत्पादों पर खास ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इन उत्पादों की मांग तो वैश्विक बाजार है लेकिन भारत से ही इनका निर्यात नहीं हो पा रहा। फियो के नवनियुक्त प्रेसिडेंट जीके गुप्ता ने कहा कि विकसित देशों की संरक्षणवादी नीति की वजह से प्रभावित होने वाले निर्यात को इस रणनीति के जरिए बचाया जा सकता है। गुप्ता ने करेंसी के मजबूत होने और जीएसटी के असर को कम करने के लिए भी सरकार से विशेष उपाय करने की मांग की।

चालू वित्त वर्ष के निर्यात रुख को देखते हुए फियो ने 325 अरब डालर के मर्चेडाइज निर्यात का अनुमान लगाया है। हालांकि फियो का कहना है कि सरकार विदेश व्यापार नीति 2015-20 की मध्यावधि समीक्षा में पांच साल के निर्यात लक्ष्य को संशोधित भी कर सकती है। सरकार ने 2020 के लिए 900 अरब डालर के निर्यात का लक्ष्य रखा था।


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