'सामरिक भागीदारी' मॉडल को कैबिनेट से मिली मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'सामरिक भागीदारी' मॉडल को मंजूरी दे दी है, इससे रक्षा निर्माण के क्षेत्र में करोड़ों रुपये निवेश किए जाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली (एजेंसी)। रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए कैबिनेट ने 'सामरिक भागीदारी' मॉडल को मंजूरी दे दी। इसके तहत विदेशी रक्षा कंपनियों की मदद से भारतीय कंपनियां लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और तोप जैसे हथियार देश में ही बनाएंगी। इस नई नीति से रक्षा निर्माण के क्षेत्र में करोड़ों रुपये निवेश होने की उम्मीद है।
बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार 'सामरिक भागीदारी' मॉडल को जल्द लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह मॉडल रक्षा खरीद नीति का एक हिस्सा है और इसकी अहमियत जानने के बाद कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी है। इससे पहले बुधवार को ही सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की।
जेटली ने बताया कि फिलहाल इस नीति के तहत निर्माण के लिए पनडुब्बी, युद्धक विमान, हेलीकॉप्टर और बख्तरबंद वाहन/मुख्य युद्धक तोप चिह्नित किए गए हैं। भारत की एक कंपनी विदेश की किसी हथियार निर्माता कंपनी के साथ मिलकर एक तरह का हथियार बनाएगी। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2015 में धीरेंद्र सिंह समिति ने इस मॉडल का प्रस्ताव दिया था।
जम्मू-कश्मीर में फैसले
रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि युद्ध जैसे क्षेत्र में फैसले लेने के लिए सैन्य अधिकारी पूरी तरह आजाद हैं। जम्मू-कश्मीर के हालात की ओर इशारा करते हुए जेटली ने कहा कि युद्ध जैसे हालात में स्थिति से कैसे निपटा जाएगा, इसका फैसला सेना के अधिकारी ही करेंगे। ऐसी परिस्थितियों में उन्हें क्या करना है, इसके बारे में वे सांसदों से कोई परामर्श नहीं करेंगे।
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