चौंकाने वाला खुलासा, कश्मीर में पत्थरबाजों के कोड नाम मीना कुमारी, ब्रेटली, धर्मा
अलगाववादियों के इशारों पर छिपकर काम करने वाले यह पत्थरबाज मीना कुमारी, नरसिम्हा, वारदात, धर्मा, ब्रेटली आदि के कोड नाम से जाने जाते हैं। अभिनेताओं, फिल्मों और क्रिकेटरों के नाम रख
नवीन नवाज, श्रीनगर: कश्मीर में पिछले 50 दिनों से सुरक्षा बलों और सेना पर पत्थरबाजी करने का जानलेवा खेल खेलने वाले उपद्रवी कहां से आते हैं और कहां चले जाते हैं पुलिस की जांच में अब यह बात सामने आने लगी है।
अलगाववादियों के इशारों पर छिपकर काम करने वाले यह पत्थरबाज मीना कुमारी, नरसिम्हा, वारदात, धर्मा, ब्रेटली आदि के कोड नाम से जाने जाते हैं। अभिनेताओं, फिल्मों और क्रिकेटरों के नाम रखे हुए नाम उन्हें अपनी पहचान छिपाने में मदद करते हैं। यही नाम डेढ़ माह से कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द हैं। पूरे कश्मीर में जारी भीषण पथराव में इन लोगों की अहम भूमिका है।
कश्मीर में पुलिस का कहना है कि इन पत्थरबाजों की असली पहचान सामने आने के बाद इनकी धरपकड़ जल्द संभव होगी। मीना कुमारी उत्तरी कश्मीर के बारामुला में सबसे कुख्यात पत्थरबाज का कोड नाम है। शुरू में तो पुलिस को पता ही नहीं था कि यह महिला है या मर्द। इसी नाम पर उसके खिलाफ मामले भी दर्ज होते रहे,क्योंकि स्थानीय लोग भी उसका नाम नहीं लेते थे। बाद में पता चला कि यह तो पत्थरबाजी में कुख्यात परवेज अहमद कालू है। वर्ष 2010 में भी कश्मीर घाटी में हुई भीषण पत्थरबाजी में वह सक्रिय था और इस समय भी।
ग्रीष्मकालीन राजधानी की जामिया मस्जिद में जहां सामान्य परिस्थितियों में हर शुक्रवार को पाकिस्तानी झंडों के साथ पथराव होता है, वहां 'मुंड' और 'जलरु' नाम के पत्थरबाज सक्रिय हैं। मुंड कश्मीरी भाषा में लकड़ी के उस टुकड़े को कहा जाता है जिसका इस्तेमाल कसाई गोश्त काटने में करता है। जबकि जलरु का मतलब मकड़ा है। मुंड और स्पाइडर का असली नाम पता करने में संबंधित पुलिस अधिकारियों को एक माह का समय लगा। मुंड का असली नाम उमर बशीर व जलरु का नाम अरसलान है।
जानलेवा पत्थरबाजी करने वालों में धर्मा और नरसिम्हा भी हैं। धर्मा ईदगाह का रहने वाला है और उसका यह नाम अदालत फिल्म में अमिताभ बच्चन के नाम पर है। धर्मा छह फुट से ज्यादा लंबा है। नरसिम्हा बारामुला और सोपोर में सक्रिय है।
बे्रटली और गुगली यह दोनों श्रीनगर के बेमिना व कमरवारी में सक्रिय हैं। दोनों को यह नाम उनके पत्थर फेंकने के अंदाज पर मिला है। दोनों ही निहायत खतरनाक हैं। वारदात फिर से श्रीनगर के खानयार में सक्रिय है। पुलिस के अनुसार, वह वर्ष 2008 से सक्रिय रहा है और तब नाबालिग था आज बालिग है।
शोपियां में गिलानी भी है। वह कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के उकसावे पर बंद कराते हुए सुरक्षाबलों पर पथराव करने वालों का अगुआ है। बारामुला में एक पत्थरबाज का नाम तारुक है। कश्मीरी में तारों को तारुक कहा जाता है और तारिक नामक यह पत्थरबाज अक्सर अपनी टोली के साथ शाम को ही सक्रिय होता है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पत्थरबाजों के कोड नाम हैरान कर देने वाले हैं। इनमें से कइयों का पता तब चला जब सीसीटीवी फुटेज, तस्वीरों और अन्य माध्यमों से उनकी गतिविधियां रिकार्ड की गईं। इनमें से कई ऐसे थे जो अक्सर निहायत ही मासूम बनकर अपने इलाके में अक्सर पुलिस व अर्द्धसैनिकबलों के पास बैठकर पथराव या जुलूस रोकने की योजनाओं का पता लगाते थे।
फिर उसके बाद अपनी रणनीति तय कर पथराव करते। असली नाम पता नहीं होने के कारण इनके कोड नाम पर ही एफआइआर रजिस्टर होती थी और कई बार इसी चक्कर में यह बच भी जाते हैं। कई मामलों में इन पत्थरबाजों का यह कोड नाम उनके दोस्त उनकी आदतों व स्टाइल के कारण देते हैं और कई बार उनके हैंडलर। ऐसे दर्जनों मामले पुलिस फाइलों में हैं।
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