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उत्तर प्रदेश सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने डीजीसी और एडीजीसी (डिस्ट्रिक गवर्नमेंट काउंसिल) की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश

By manoj yadavEdited By: Published: Wed, 07 Jan 2015 08:38 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jan 2015 08:44 PM (IST)

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने डीजीसी और एडीजीसी (डिस्ट्रिक गवर्नमेंट काउंसिल) की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर यथास्थिति कायम रखने के आदेश दिए हैं।

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यह है मामला

हाई कोर्ट ने गत 5 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह हमीरपुर जिला अदालत में एडीजीसी अजय कुमार शर्मा और योगेश शरण त्रिपाठी के रिन्युवल पर फिर विचार करे। साथ ही हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा की गई 96 डीजीसी और एडीजीसी की नियुक्तियां भी रद कर दी थी और नए सिरे से नियुक्तियां करने को कहा था। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

बुधवार को प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और एमआर शमशाद ने हाई कोर्ट के आदेश का विरोध किया। उन्होंने कहा कि डीजीसी और एडीजीसी की नियुक्ति कोई सरकारी पद पर नियुक्ति नहीं है बल्कि ये महज प्रोफेशनल इंगेजमेंट है। सरकार जब चाहे अपने वकील बदल सकती है। उसे एक ही व्यक्ति को वकील रखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

सिब्बल ने कहा कि तीन बार से प्रदेश सरकार इन लोगों की पुनर्नियुक्ति कर रही है आखिर कब तक इन्हें जारी रखा जाएगा? कोर्ट ने प्रदेश सरकार की दलीलें सुनने के बाद याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए अजय कुमार शर्मा और योगेश शरण त्रिपाठी को याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया साथ ही हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल यथास्थिति कायम रखने के भी निर्देश दिए।

उत्तर प्रदेश में डीजीसी और एडीजीसी की नियुक्ति का विवाद थोड़ा पुराना है। वर्ष 2008 में प्रदेश की मायावती सरकार ने एलआर मैनुअल में संशोधन करके डीजीसी और एडीजीसी की नियुक्ति में जिला जज और जिलाधिकारी से परामर्श के प्रावधान में संशोधन कर दिया और जिला जज से परामर्श करने की शर्त हटा दी। इस संशोधन को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।

हाई कोर्ट ने संशोधन निरस्त कर दिया। जिसके खिलाफ मायावती सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन इस बीच प्रदेश में सरकार बदल गई और समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार सत्ता में आई। अखिलेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका वापस ले ली और एलआर मैनुअल में संशोधन को निरस्त करने वाला हाई कोर्ट का फैसला स्वीकार कर लिया।

प्रदेश सरकार ने उन डीजीसी और एडीजीसी की नियुक्तियां नवीनीकृत (रिन्यू) नहीं कीं जिनकी नियुक्ति मायावती सरकार के समय जिला जज से परामर्श के बगैर हुईं थी। नियुक्तियों का नवीकरण खारिज करने के प्रदेश सरकार के फैसले को अजय और योगेश ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर हाई कोर्ट का वर्तमान फैसला आया है।


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