नजर नहीं आए भाजपा के स्टार मुस्लिम नेता
विधानसभा के लिए महासमर अपने शबाब पर है, लेकिन भाजपा में शाहनवाज हुसैन को छोड़कर अकलियतों बिरादरी के बाकी सितारों की कोई चमक नजर नहीं आ रही।
पटना, रमण शुक्ला । विधानसभा के लिए महासमर अपने शबाब पर है, लेकिन भाजपा में शाहनवाज हुसैन को छोड़कर अकलियतों बिरादरी के बाकी सितारों की कोई चमक नजर नहीं आ रही। पहले चरण का प्रचार खत्म होने को है, लेकिन पूर्व सांसद साबिर अली, सांसद एमजे अकबर, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नजमा हेपतुल्ला, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और राज्य के पूर्व मंत्री जमशेद अशरफ भाजपा उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने नहीं पहुंचे। चुनाव प्रचार में मसरूफ नहीं होने के सवाल को साबिर अली सिरे से खारिज करते हुए फरमाते हैं कि वह जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। साबिर को हालिया दिनों में भाजपा में दोबारा इंट्री मिली है।
पहली बार उनके आने और जाने का किस्सा बड़ा ही दिलचस्प है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीबी से लड़ने के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाने के अभियान पर हैं। इस भरोसे के साथ कि इस बदौलत राजग उम्मीदवारों को जीत तय होगी। अल्पसंख्यकों के विकास के लिए कौशल विकास मिशन, नई मंजिल और मदरसों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की प्राथमिकता से वह आवाम को अवगत करा रहे हैं। बकौल साबिर, हमारी प्राथमिकता बिहार में परिवर्तन के मुहिम को साकार करने की है, न कि सार्वजनिक सभाओं में चेहरा दिखाने की। एमजे अकबर की बिहार के प्रबुद्ध अकलियतों में अच्छी-खासी पकड़ है। वह बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड से राज्यसभा के प्रतिनिधि हैं। वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी, लेकिन फिलवक्त उनकी सक्रियता न तो चुनावी सभाओं में दिख रही है और ना ही चुनावी मैदान में उनकी चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जानेवाले एमजे अकबर का बिहार से भी करीबी रिश्ता रहा है। उनके पूर्वज बिहार के वैशाली जिला के निवासी थे।
इसके बाद इनका परिवार कोलकाता चला गया और वहीं बस गया। केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला और मुख्तार अब्बास नकवी भाजपा के कद्दावर अल्पसंख्यक चेहरा हैं, लेकिन चुनाव प्रचार वे दोनों चेहरे भी कहीं नजर नहीं आ रहे। महत्वपूर्ण यह है कि उन दोनों का बिहार के अकलियतों में ठीक-ठाक प्रभाव है। बिहार के शिया मुसलमानों के बीच मुख्तार की निजी पैठ है। भाजपा के शीर्ष रणनीतिकारों में शामिल एक राष्ट्रीय महामंत्री कहते हैं कि अभी प्रचार अभियान शुरू हुआ है। चार चरणों का प्रचार अभी बाकी है। कई नेता और मंत्री सीधे क्षेत्र में जाकर लोगों से संवाद बनाने में जुटे हैं। यह जरूरी नहीं है कि सभी नेताओं की मौजूदगी मंच से दिखे। पर्दे के पीछे से भी चुनावी रणनीति और अभियान का संचालन होता है।