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जल्द ही उल्फा संग भी शांति समझौता संभव

केंद्र और नगा अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-आईएम) के बीच सोमवार शाम हुए समझौते के बाद जल्द ही हम एक और ऐतिहासिक समझौते के गवाह बन सकते हैं। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर द्वारा मंगलवार को किए गए ट्वीट से कुछ ऐसे ही संकेत मिले हैं।

By Manoj YadavEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 04:28 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 04:31 PM (IST)

नई दिल्ली। केंद्र और नगा अलगाववादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन-आईएम) के बीच सोमवार शाम हुए समझौते के बाद जल्द ही हम एक और ऐतिहासिक समझौते के गवाह बन सकते हैं। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर द्वारा मंगलवार को किए गए ट्वीट से कुछ ऐसे ही संकेत मिले हैं।

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श्रीश्री रविशंकर ने अपने ट्वीट में लिखा है, "मैं उल्फा नेता परेश बरुआ के संपर्क में हूं। उम्मीद है कि असम में पिछले 35 वर्षों से चल आ रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए वह जल्द ही आगे आएंगे।" हालांकि इसके आगे उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन यदि ऐसा होता है तो वर्षों से संघर्ष के शिकार पूर्वोत्तर तथा वहां रह रहे अन्य प्रदेशों के मूल निवासियों की समस्या का हमेशा-हमेशा के लिए समाधान निकल आएगा।

वैसे उल्फा के उग्रवादी जब-तब हिंदीभाषियों को अपना शिकार बनाते रहे हैं। गत माह भी उल्फा उग्रवादियों ने असम में हिंदीभाषी व्यापारी और उनकी बेटी की हत्या कर दी थी।

क्या है उल्फा

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) असम में सक्रिय एक प्रमुख उग्रवादी संगठन है। इसका उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के बल असम को एक स्वतंत्र राज्य बनाना है। भारत सरकार वर्ष 1990 में ही इस पर प्रतिबंध लगा चुकी है।


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