पर्यावरण के प्रहरी बने यहां के एसपी, कर रहे पौधरोपण
पौधरोपण में दिखा रहे ‘कौशल’ अब तक लगाए साढ़े तीन लाख पौधे, हर खुशी के मौके पर पौधरोपण करता है परिवार। रिटायर्ड एसडीओ की जिज्ञासा बन गई जुनून...
बरनाला (ब्युरो)। एसपी कौशल जैसा नाम वैसा काम। उम्र के पहले पड़ाव में ही पौधरोपण की जिज्ञासा जुनून बन गई और हरियाली के कौशल बन बैठे। हर तरफ पर्यावरण प्रेमी के रूप में पहचान बन गई। पौधरोपण करने का जुनून भी ऐसा है कि हर वर्ष मिल रही अपनी करीब सात लाख रुपये की पेंशन से पांच लाख रुपये पौधरोपण पर खर्च करते हैं। पिछले 46 वर्षों में करीब साढ़े 3 लाख पौधे लगा चुके हैं। यह जनून पहले एसपी कौशल को था अब तो पूरा परिवार ही इस अभियान में जुट गया है। कच्चा कॉलेज रोड निवासी पीडब्लयूडी पब्लिक हेल्थ के रिटायर्ड एसडीओ सुरेंद्र पाल कौशल ने अब पौधरोपण को जीवन का आधार बना लिया है।
किसी को पौधे लगवाना है तो बस एक काल पर एसपी कौशल खुद स्कूटर पर पौधे रख एक हेल्पर के साथ पहुंच जाते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में पटियाला, लुधियाना, बरनाला, संगरूर, जगराओं, रायकोट व मुल्लांपुर क्षेत्र में करीब एक लाख के करीब विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए। अब रिटायर होने के बाद वह बरनाला क्षेत्र में शैक्षणिक स्थानों, मंदिरों, गुरुद्वारा साहिब व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लोगों को जरूरत में सीधे तौर पर दवा के तौर पर काम आने वाले विरासती वृक्ष जिनमें पीपल, आम, जामुन, बिल पत्तर, ढक, खैर, बेरी, कररी पत्ता, अजुर्न, आंवला, हरड़, बहेड़ा, अमल, ताश, पारीजात, कत्था, रीठा, मौलश्री, महुया, कचनार, कदम्ब पेड़, सिलवर ओक, तुंन, सहजन इत्यादि वृक्षों को बड़े स्तर पर लगा रहे हैं।
मां से मिली प्रेरणा, बनाया एनवायरमेंट ट्रस्ट : कौशल ने बताया कि पौधरोपण करने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां ईश्वर देवी व पिता आशा राम कौशल से मिली। पूजा के लिए वह उन्हें सात विभिन्न वृक्षों के पत्ते लाने के लिए भेजते थे। इसमें बेल, आम, जामुन, बरगद, पीपल, बेरी व आंवला शामिल थे, जिन्हें ढूंढना आसान नहीं था। तभी से मन में पौधरोपण की जिज्ञासा पैदा हुई और अब यह जुनून बन गई है। वर्ष 2011 में एसपी कौशल ने अपनी माता ईश्वर व पिता आशा के नाम पर ईश्वर आशा मेमोरियल एनवायरमेंट ट्रस्ट बरनाला बनाया व अब इस बैनर के तले पौधरौपण करते हैं। कौशल के परिवार की पहचान भी जिले में पौधरोपण वाले परिवार के रूप में है। हर खुशी के मौके पर परिवार पौधे लगाता है।
बड़े समारोह की नहीं, सोच बदलने की जरूरत
विश्व वन दिवस केवल 5 जून को मनाने के लिए बड़े-बड़े समारोह की नहीं बल्कि लोगों को सोच बदलने की जरूरत है। हर किसी को पौधरोपण व उसकी रक्षा का संकल्प लेना चाहिए। इसी सार्थक सोच से ही हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।- एसपी कौशल, रिटायर्ड एसडीओ
-हेमंत राजू