सोनिया गांधी ने पीएम को लिखा पत्र, कहा- इस मुद्दे पर मिलेगा कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
नई दिल्ली, एएनआई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। सोनिया ने अपने पत्र में कहा है कि आपके पास बहुमत है महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में लाइए। कांग्रेस बिल का समर्थन करेगी।
20 सितंबर को लिखे पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से कहा है कि महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पास हो चुका है। लोकसभा में बहुमत भाजपा के पास है। आप इसको पास कराइए। उन्होंने लिखा है कि बहुमत के अभाव में महिला आरक्षण बिल साल 2010 से लंबित पड़ा है लेकिन आपकी सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है। लिहाजा, इसका लाभ उठाते हुए महिला आरक्षण बिल पास कराइए।
सोनिया गांधी ने पत्र में लिखा है, “कांग्रेस हमेशा से इस बिल के समर्थन में रही है और आगे भी इस बिल का समर्थन करती रहेगी क्योंकि यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम है।” उन्होंने पत्र में यह लिखकर याद दिलाया है कि उनके दिवंगत पति और भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संविधान संशोधन विधेयकों के जरिये पंचायतों एवं स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए पहली बार आरक्षण का प्रावधान किया था। सोनिया ने लिखा है कि उस बिल को 1989 में विपक्ष ने पारित नहीं होने दिया था लेकिन 1993 में ये दोनों सदनों में पारित हुए थे।
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 543 सांसदों में से 62 महिला सांसद चुनकर आई हैं। भारतीय संसदीय इतिहास में लोकसभा पहुंचने वाली महिलाओं की यह सर्वाधिक संख्या है। इससे पहले 15वीं लोकसभा में साल 2009 के चुनावों में 58 महिलाएं लोकसभा पहुंची थीं।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी इस साल के शुरुआत में महिला आरक्षण बिल पास कराने की गुजारिश सभी राजनीतिक दलों से की थी। उन्होंने तब कहा था कि महिला आरक्षण किसी को कुछ देने के समान नहीं है बल्कि इससे महिलाएं बड़ी संख्या में आगे बढ़ सकेंगी।
सीपीआई (एम) ने भी इस साल जुलाई में मोदी सरकार से महिला आरक्षण बिल पास कराने का अनुरोध किया था। पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा था कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल पास कराने की वकालत की थी लेकिन अब वो सरकार में हैं तो उस बिल पर कुछ नहीं कर रहे।
बता दें कि राज्य सभा से यह बिल 2010 में ही पास हो चुका है। उसके बाद बिल को लोकसभा में भेजा गया, जहां अभी तक लंबित पड़ा है।
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