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शहादत के 18 साल बाद शहीद को आखिरी विदाई

यह सम्मान देश के लिए मरने वालों के लिए ही हो सकता है। एक ओर गया प्रसाद अमर रहे जैसे गगनभेदी नारे थे तो दूसरी ओर लोगों की आंखें आंसुओं के सैलाब में डूबी थीं। इसके बावजूद सीना गर्व से चौड़ा था, गांव के लाल ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 06:37 PM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 06:46 PM (IST)

मैनपुरी। यह सम्मान देश के लिए मरने वालों के लिए ही हो सकता है। एक ओर गया प्रसाद अमर रहे जैसे गगनभेदी नारे थे तो दूसरी ओर लोगों की आंखें आंसुओं के सैलाब में डूबी थीं। इसके बावजूद सीना गर्व से चौड़ा था, गांव के लाल ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। गांव कुंडरिया के सैनिक गया प्रसाद का पार्थिव शरीर शहादत के 18 साल बाद गांव लौटा तो लाडले की एक झलक पाने को भीड़ उमड़ पड़ी। राजकीय सम्मान और हजारों लोगों के बीच शहीद का अंतिम संस्कार किया गया।

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किशनी विकास खंड के गांव कुड़रिया निवासी गया प्रसाद सेना में सिपाही के पद पर तैनात थे। नौ दिसंबर 1996 को ऑपरेशन मेघदूत के दौरान सियाचिन में तैनाती थी। तभी स्नो स्कूटर फिसलने से ग्लेशियर की एक दरार में गिर गए। उन्हें खोजने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। 13 दिसंबर को सेना ने गया प्रसाद की शहादत की खबर परिजनों को भिजवाई। गया प्रसाद को आखिरी बार देखने की उम्मीद भी लगभग खत्म हो चुकी थी। स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त 2014 को अचानक खबर मिली कि गया प्रसाद का शव मिल गया है। बेटा सतीश शव लेने सियाचिन गया। बुधवार रात 11.10 बजे शहीद सैनिक का शव गांव कुड़रिया पहुंचा। सेना के जवान शव को लेकर गांव पहुंचे तो अंतिम दर्शन को भीड़ उमड़ पड़ी। आसपास के गांवों के लोग भी जुटे। रात में ही ब्रिगेडियर सलीम आसिफ, राजपूत रेजीमेंट के कर्नल टीके शेखो, लेफ्टिनेंट रमन कुमार, विक्त्रम सिंह, दिनेश समेत करीब दो सैकड़ा सैनिकों की टुकड़ी गया प्रसाद के गांव पहुंची। तिरंगे में लिपटा गया प्रसाद का शव घर के बाहर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। शहीद के दर्शन को नेताओं और ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। बदायूं सांसद धमर्ेंद्र यादव, सपा के लोकसभा चुनाव प्रत्याशी तेज प्रताप यादव, पूर्व विधायक अशोक चौहान, भाजपा जिलाध्यक्ष शिवदत्त भदौरिया, सदर विधायक राजकुमार यादव, किशनी विधायक ब्रजेश कठेरिया आदि ने शहीद सैनिक को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद सैनिकों ने शहीद की अर्थी को कंधा दिया और गांव के बाहर स्थित गया प्रसाद के खेत पर ले गए। यहां सेना के जवानों ने शहीद को गार्ड ऑफ आनर दिया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सुबह करीब 11 बजे गया प्रसाद की चिता को उनके पुत्र सतीश ने मुखाग्नि दी।

समंदर भरी आंखों से पति को नमन :

शहीद की पत्‍‌नी रामादेवी का हाल बेहाल है। पति की शहादत के बाद किसी तरह तीन बच्चों को पाला-पोसा। बेटी और बेटे की शादी कर दी। हां, मन में एक आस थी कि कम से कम पति के अंतिम दर्शन तो कर लें। 18 बरस बाद पति का शव मिलने की खबर 55 की हो चुकीं रामादेवी को मिली तो आंखों से आंसुओं की धार बह गई। बुधवार रात शव आया, तो पति का चेहरा देख निढाल हो गईं। सुबह जब अंतिम संस्कार से पहले शव लोगों के दर्शन को रखा गया, तो एकबारगी पति का शव निहारतीं। फिर पैरों की तरफ सिर रखकर फफक पड़ी, फिर आसमान की ओर ताकतीं और बिलखने लगतीं।

पढ़ें : 18 साल बाद आएगा शहीद का पार्थिव शरीर


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