पूर्ण सूर्यग्रहण से ब्रिटेेन और यूरोप में छाया अंधेरा
ब्रिटेन और यूरोप में बड़ी संख्या में लोगों ने सूर्यग्रहण का नजारा देखा। ब्रिटेन के स्थानीय समय 8.22 सूर्यग्रहण की शुरुआत हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने विशेष चश्मे पहन कर कुदरत के इस नजारे को देखा।
नई दिल्ली। ब्रिटेन और यूरोप में बड़ी संख्या में लोगों ने सूर्यग्रहण का नजारा देखा। ब्रिटेन के स्थानीय समय 8.22 सूर्यग्रहण की शुरुआत हुई। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने विशेष चश्मे पहन कर कुदरत के इस नजारे को देखा। इन देशों के कई शहरों में पिकनिक का माहौल नजर आया और लोगों ने सूर्यग्रहण का खूब आनंद उठाया।
ब्रिटेन में कुल सात मिनट तक सूर्यग्रहण रहा, लेकिन इस दौरान जीव-जंतुओं के सामान्य व्यवहार में तब्दीली देखी गई। आमतौर पर रात में सक्रिय होने वाले जीव-जंतु सूर्यग्रहण के कारण भ्रमित नजर आए। कई पक्षी रात होने के भ्रम में अपने घोंसलो में लौटने लगे। तो कई पेड़-पौधे जिनका व्यवहार दिन और रात में अलग होता है वो दिन में ही रात की तरह व्यवहार करने लगे।
आमतौर पर हमारी धरती पर हर 18 महीने पर किसी ना किसी हिस्से में सूर्यग्रहण होता रहता है। लेकिन एक ही स्थान पर दुबारा उसी प्रकार का सूर्यग्रहण 375 सालों बाद दिखता है।
ब्रिटेन और यूरोप में स्थानीय नागरिकों के अलावा दुनिया भर से वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और सैलानियों ने सूर्यग्रहण का नजारा देखा। आम लोग सूर्यग्रहण का जहां उत्सव की तरह आनंद ले रहे थे, वहीं वैज्ञानिक अपने शोध में डूबे थे।
वैज्ञानिक इस सूर्यग्रहण का बड़ी बारीकी से आकलन कर रहे है। क्योंकि सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से जुड़े कई आंकड़े इकट्ठा किए जा सकते हैं। सामान्य तौर पर सूर्य से निकलने वाला प्रकाश इतना तेज होता है कि उसका बारीकी से अध्ययन करना मुश्किल है।
मलार्ड स्पेस साइंस लेबोरेटरी के सोलर साइंटिस्ट डॉ. लूसी ग्रीन का कहना है कि वैज्ञानिकों का मुख्य जोर यह जानने पर है कि सूर्य का वातावरण इतना ज्यादा गर्म क्यों है। हालांकि अब तक मिली जानकारी के अनुसार माना जाता है कि यह सूर्य के वातावरण के चुंबकीय क्षेत्र से पैदा होता है, लेकिन अभी इस संबंध में सटीक जानकारी अपेक्षित है।
एब्रेसविथ यूनिवर्सिटी के फिजिक्स साइंटिस्ट डॉ. हो मॉगर्न ने कहा, 'हमने इस सूर्यग्रहण पर कई सारे विशेष टेलीस्कोप को केंद्रित किया है ताकि अलग-अलग बेवलेंथ पर आनेवाली सूर्य की किरणों का विश्लेषण किया जा सके। इससे हमें रहस्यमयी सोलर कोरोना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। '
रदरफोर्ड एपलटन लेबोरेटरी के स्पेस साइंस विभाग के प्रमुख प्रो. रिचर्ड हैरिसन के मुताबिक यूं तो अंतरिक्ष में हम टेलीस्कोप से हम अंतरिक्ष का अध्ययन करते रहते हैं। लेकिन यह बड़ा मौका है जब हम धरती से सूर्य का अध्ययन कर पाएंगे। यहां हम उन बड़े उपकरणों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसे अंतरिक्ष में ले जाना संभव नहीं है।
इसके अलावा आज भारत में दिन और रात दोनों समान अवधि की होगी। साल में ऐसा केवल दो बार होता है, जब दिन और रात बराबर होते है।
इस बार 20 मार्च को तीन खगोलिय परिघटनाएं एक साथ घटित हो रही है। पहला पूर्ण सूर्यग्रहण, दूसरा पूर्ण चंद्रमा (हालांकि पूर्ण सूर्यग्रहण बिना पूर्ण चंद्रमा के संभव नहीं है) और तीसरा कई देशों में दिन और रात का बराबर होना।
सूर्यग्रहण के साथ ही आज चांद भी सबसे बड़ा दिखाई देनेवाला है, क्योंकि इसकी धरती से इसकी दूरी आज सबसे कम होगी। इसके बाद अब 2017 में सूर्यग्रहण की घटना होगी, जो भारत में दिखाई नहीं देगी, लेकिन समूचे अमेरिका में इसे देखा जा सकेगा।