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आखिर क्यों 20 साल बाद इतने खराब आए बिहार में 12वीं के नतीजे

पिछले 20 वर्षों के दौरान इस बार का यह नतीजा बिल्कुल खराब रहा। इससे पहले, साल 1997 में सिर्फ 14 फीसदी रिजल्ट आया था।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 31 May 2017 05:40 PM (IST)Updated: Fri, 02 Jun 2017 11:45 AM (IST)
आखिर क्यों 20 साल बाद इतने खराब आए बिहार में 12वीं के नतीजे
आखिर क्यों 20 साल बाद इतने खराब आए बिहार में 12वीं के नतीजे

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। बिहार में बारहवीं की परीक्षा का परिणाम इस बार बेहद निराशाजनक रहा। सबसे हैरानी की बात यह रही कि सिर्फ 36 फीसदी छात्र ही परीक्षा में पास हो पाए। यानि, पिछले 20 वर्षों के दौरान इस बार का यह नतीजा बिल्कुल खराब रहा। इससे पहले, साल 1997 में सिर्फ 14 फीसदी रिजल्ट आया था। लेकिन, उस वक्त कोर्ट की निगरानी में वह परीक्षा हुई थी।

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दोबारा कॉपी जांच छात्रों का अधिकार- नीतीश कुमार

बारहवीं के खराब परीक्षा परिणाम आने और छात्रों की बौखलाहट के देखते हुए राज्य के सरकार से लेकर प्रशासन तक में हड़कंप मचा हुआ है। यही वजह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दोबारा कॉपी जांच की मांग छात्रों का अधिकार है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार छात्रों की मांग प्राथमिकता के आधार पर करेगी। 


12 लाख में से 8 लाख छात्र फेल

इस बार, बिहार इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 12 लाख बच्चे शामिल हुए थे। लेकिन, इनमें से आठ लाख बच्चे पास होने में असफल हो गए। इसमें साइंस टॉपर्स को 86 फीसदी मार्क्स मिले जबकि आर्ट्स का रिजल्ट सबसे अच्छा रहा और 73 फीसदी छात्र सफल रहे। जमुई जिला की खुशबू कुमारी ने साइंस में टॉप किया है। उसे 86.2% अंक मिले हैं। समस्तीपुर के गणेश कुमार (82.6%) आर्ट्स में अव्वल आए। पटना कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्रियांशु (81.6 %) ने कॉमर्स में टॉप किया।

स्ट्रीम                        2015               2016                2017

साइंस                       89.32                67.06               30.11

कॉमर्स                      90.55                80.87                73.76

आर्ट्स                      -                        56.73                37.13
 

क्या सख़्ती के चलते फेल हुए छात्र

सवाल ये उठ रहा है कि आखिर इतना बच्चों के फेल होने की क्या वजह हो सकती है ? क्योंकि, अगर 12 लाख में से आठ लाख छात्र असफल हुए तो ज़ाहिर तौर पर वहां के छात्रों में काफी निराशा हुई है। दरअसल, पिछली बार बिहार बोर्ड की परीक्षा में टॉपर्स घोटाले का सनसनीखेज खुलासा सामने आने के बाद राज्य सरकार ने नकल रोकने के लिए सख्त उपाय किए थे। जिसके तहत उत्तर पुस्तिकाओं में कोडिंग सिस्टम और परीक्षा केंद्रों की वीडियोग्राफी की व्यवस्था भी की गई थी। इसके साथ ही उत्तर पुस्तिकाओं की दो-दो बार जांच करने के आदेश भी दिए गए थे। यह एक बड़ी वजह है कि जिसके चलते ऐसे अप्रत्याशित परिणाम सामने आए हैं। 

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शिक्षामंत्री ने कहा- नहीं होगा साल बर्बाद

इतनी बड़ी तादाद में छात्रों के फेल होने के बाद जहां गुस्सा है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि छात्रों का एक साल बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए छात्र पूरी मेहनत के साथ कंपार्टमेंट का एग्जाम दें। तो वहीं, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मामले पर गंभीरता दिखाते हुए अधिकारियों और शिक्षामंत्री के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए।

छात्रों के हित में है रिजल्ट- जेडीयू

जेडीयू नेता अजय आलोक ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया कि इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम यह दर्शाता है कि नकल पर पूरी तरह से रोक लग गई है। ऐसे में एक तरफ जहां फेल हुए छात्रों को कंपार्टमेंट अपनी गलती सुधारने का सुनहरा अवसर है तो वहीं दूसरी तरफ इससे लोगों में एक अच्छा मैसेज जाएगा।

जाहिर तौर पर राज्य में जिस तरह परीक्षा में अनियमितताएं हो रही थी उसके बाद जो सख्ती की गई वह काफी हद तक एक बड़ी वजह है। ऐसे में यह साफ है कि इससे उन छात्रों का मनोबल जरूर बढ़ेगा जो अपनी मेहनत के बल पर पढ़ाई कर पास हो रहे हैं। इसके साथ ही, उन छात्रों के लिए एक सख्त संदेश भी जाएगा कि अगर अब उनके लिए दूसरे तरीके से पास होना आसान नहीं होगा।

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