Move to Jagran APP

इंनरनेट का गजब इस्तेमाल, महिला प्रधान ने मिलाया मां-बेटे को

इलाके में महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनी महिला मुखिया नूर नवाब अंसारी ने पांच साल से बिछड़े मां-बेटे को मिला दिया। उन्होंने अधूरे नाम के जरिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए, बच्चे को अपनी मां से मिलवा है। आश्चर्य की बात यह है कि न ही बच्चा या उसका कोई परिजन इंटरनेट के बारे में जानता है। इस प्रयास की चर्चा इलाके में खूब हो रही है।

By Edited By: Published: Tue, 09 Sep 2014 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 09 Sep 2014 06:03 PM (IST)
इंनरनेट का गजब इस्तेमाल, महिला प्रधान ने मिलाया मां-बेटे को

जीरादेई (सिवान)। इलाके में महिला सशक्तीकरण की मिसाल बनी महिला मुखिया नूर नवाब अंसारी ने पांच साल से बिछड़े मां-बेटे को मिला दिया। उन्होंने अधूरे नाम के जरिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए, बच्चे को अपनी मां से मिलवा है। आश्चर्य की बात यह है कि न ही बच्चा या उसका कोई परिजन इंटरनेट के बारे में जानता है। इस प्रयास की चर्चा इलाके में खूब हो रही है।

loksabha election banner

पांच साल की उम्र में परिजनों से दूर हो चुके बच्चे को केवल अपने गांव का ही नाम मालूम था। उसकी परवरिश छह बाल-बच्चों वाली तितरा ग्राम की महिला अनीता देवी कर रही थी। बच्चे के गुम होने के बाद उसकी मां झुमरी देवी को दो और बच्चे हुए पर इस दौरान पति ने उसे छोड़कर दूसरी शादी कर ली। महिला मुखिया नूर नवाब अंसारी और किशनगंज के गलगलिया थानाध्यक्ष के प्रयास से सिवान पहुंची अनीता बच्चे को गले लगाकर रो पड़ी। वह बार बार नूर नवाब को आशीर्वाद देती रही।

यह था मामला :

पांच साल पहले पांच साल उम्र का एक बच्चा तितरा बाजार में घूमते हुए देखा गया। उसे महिला मुखिया ने अपने पास रखा। फिर गांव के मदन भगत की पत्‍‌नी अनीता देवी ने उसे अपने पास रख लिया। इस बच्चे को केवल अपने गांव बसरबाटी का नाम मालूम था। पूछने पर वह इलाके का नाम जसीडीह बताता था। पर बसरबाटी कहां है यह न वह बता पाता था न कोई समझ पाता था कि यह गांव किस जिले और किस राज्य में है। इसे लेकर मुखिया और उसके परिजन हमेशा बेचैनी में रहते थे। दो वर्ष पूर्व मुखिया के पति नवाब अंसारी और प्रो.मनोज यादव ने देवघर और जसीडीह तक खोजबीन की। मुखिया नूर नवाब अंसारी ने बताया कि काफी प्रयास केबाद उन्हें इंटरनेट पर बसरबाटी का पता चला। इसके बाद उस गांव के थाने का पता लगाया गया। किशनगंज जिले के गलगलिया थाने के थानेदार का नंबर लेकर उनसे बातचीत की गई। थानेदार ने एक दिन का समय लेने के बाद दूसरे दिन फोन करने पर बताया कि पांच वर्ष पूर्व एक बच्चा वहां से गुम हुआ था। तब नूर ने थानेदार से आग्रह कर उसके परिजन को तितरा बुलाने को कहा।

पुलिस की रही सराहनीय भूमिका :

किशनगंज जिले के गलगलिया थाना के थानेदार ने उस लड़के की मां को बेटे के सहीसलामत होने की जानकारी दी और अपनी जेब से सिवान तक का किराया दिया क्योंकि उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। मां झुमरी देवी ने बताया कि गोविंद उसका सबसे बड़ा लड़का है। उसके दो बेटे और हैं। इसके बाद उसके पति बुद्धिनाथ सैरन ने दूसरा शादी कर मुझे छोड़ दिया। हमारे थाना प्रभारी ने पैसा देकर आने का बंदोबस्त किया। इस दौरान मुखिया नूर नवाब अंसारी ने भी उसे किसी तरह आ जाने को कहा। उसने बच्चे का पालन पोषण करने वाली अनीता और उसके परिजनों को भी धन्यवाद दिया। वह बोली मेरा गोविंद मिल गया, मैं काफी खुश हूं। बाद में मुखिया व अन्य लोगों के सौजन्य से मां-बेटे को किशनगंज के लिए रवाना किया गया। पांच साल तक अनीता के घर में रहे गोविंद की आंखें उन लोगों से बिछड़ने के समय नम थीं।

जानें : कैसे लड़ी यह बिहार की मर्दानी

जानें : युवती ने दरोगा पर क्यों तान दी रिवाल्वर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.