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दिल्ली से येचुरी का गहरा नाता

देश की वामपंथी सियासत में अपनी खास पहचान रखने वाले सीताराम येचुरी संसद में तो अपनी बेहतरीन भाषण शैली का नमूना पेश करते दिखते ही हैं, उन्हें जवाहर लाल नेहरू की कैंटीन में भी नौजवानों के साथ जिरह करते देखा जा सकता है।

By manoj yadavEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2015 08:23 AM (IST)
दिल्ली से येचुरी का गहरा नाता

नई दिल्ली, [अभिनव उपाध्याय]। देश की वामपंथी सियासत में अपनी खास पहचान रखने वाले सीताराम येचुरी संसद में तो अपनी बेहतरीन भाषण शैली का नमूना पेश करते दिखते ही हैं, उन्हें जवाहर लाल नेहरू की कैंटीन में भी नौजवानों के साथ जिरह करते देखा जा सकता है।

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येचुरी दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों के आंदोलन में उसी जोश के साथ शामिल होते हैं, जिस तरह वह शुरुआती दिनों में हुआ करते थे। ल}बोलुआब यह है कि उनकी छवि भले ही राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत वामपंथी नेता की है, लेकिन दिल्ली से भी उनका गहरा नाता है।

उन्होंने अपनी सियासत तो यहां की ही है उनकी पढ़ाई-लिखाई का भी नाता दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू से रहा है। बेहद मिलनसार स्वभाव के बताए जाने वाले येचुरी के प्रशंसक राजधानी में भी बड़ी संख्या में हैं। उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी का महासचिव चुने जाने पर दिल्ली और जेएनयू के शिक्षक ही नहीं छात्र भी बधाई दे रहे हैं।

विरोधी भी कायल :

जेएनयू के शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डा. संजय पांडेय कहते हैं कि सीताराम येचुरी सुलङो व्यक्ति हैं, जिनका भारतीय समाज और राजनीति सम्मान करती है। उनकी समझ के कायल उनके विरोधी भी हैं। वह रुढ़िवादी सोच के नहीं हैं। संघर्ष को लेकर उनका लंबा इतिहास है। उनके रवैये में लचीलापन होना भी उनकी खूबी है।

डीयू से लगाव :

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ की अध्यक्ष, स्टीफंस की पूर्व छात्र और वर्तमान में स्टीफंस की शिक्षिका डा. नंदिता नारायण का कहना है कि सीताराम येचुरी हमारे वरिष्ठ हैं। डीयू से उनका गहरा लगाव है, क्योंकि उन्होंने यहां से शिक्षा प्राप्त की है। आज भी वह छात्रों और शिक्षकों के मुद्दों को लेकर हमेशा हमारे साथ आते हैं। हमें खुशी है कि उनको एक बड़ा पद मिला है।

करते हैं मार्गदर्शन :

जेएनयू में स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया के बालू का कहना है कि येचुरी को महासचिव बनने पर हम सब खुश है। उनका मार्गदर्शन हमें समय-समय पर मिलता रहता है। जेएनयू से उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है। उनकी राजनीतिक समझ, वैश्विक मुद्दों पर उनकी सोच के हम सब कायल हैंद्ध वह आज भी हमारे बीच एक छात्र की तरह ही व्यवहार करते हैं।


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