ढंग से लागू नहीं होती तो क्यों बनाते हैं योजना : सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब ऐसी स्थिति है तो फिर ऐसी योजनाएं तैयार ही क्यों की जाती हैं? करदाताओं का पैसा बेकार बहाया जा रहा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट ने हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी कल्याण योजनाओं के प्रभावी रूप से लागू नहीं होने पर दुख जाहिर किया है। शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब ऐसी स्थिति है तो फिर ऐसी योजनाएं तैयार ही क्यों की जाती हैं? करदाताओं का पैसा बेकार बहाया जा रहा है।
जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल आत्माराम नंदकर्णी से पूछा, 'आखिर आप योजनाओं को बंद क्यों नहीं कर देते।' शहरी बेघरों के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान नंदकर्णी केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए थे।
पीठ ने कहा, 'आप (केंद्र) हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। भारत सरकार इस राशि का इस्तेमाल किसी दूसरे महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए कर सकती है। करदाताओं का पैसा बेकार में बहाया जा रहा है। यह दुखद है।'
शहरी बेघरों के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए पीठ ने ऐसे लोगों के प्रति कुछ उदारता दिखाने के लिए कहा। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल को फटकार लगाई। इन राज्यों ने शहरी बेघरों के लिए योजना के तहत केंद्र से आवंटित कोष के खर्च का पूरा ब्योरा नहीं दिया था। इसे अत्यंत हताशा भरा बताते हुए पीठ ने कहा कि राज्यों को बेघरों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पता चलता है कि गरीब लोगों जिन कठिनाइयों का सामना करते हैं उसे लेकर राज्य चिंतित नहीं हैं।
पीठ ने कहा, 'हम कुछ जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए थोड़ी सी सहानुभूति होनी चाहिए।' पीठ ने केंद्र से कहा, 'आप अच्छी योजना सामने लाएं लेकिन आप लागू नहीं करा सकते तो योजनाएं बनाई ही क्यों जाती हैं।'
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