कांची के शंकराचार्य हत्या के मामले से बरी
कांची के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और विजयेंद्र सरस्वती को एक विशेष अदालत ने बुधवार को बहुचर्चित शंकररमन हत्याकांड से बरी कर दिया। कांचीपुरम स्थित वरदाराजापेरुमल मंदिर के प्रबंधक शंकररमन की इस सनसनीखेज हत्या से जुड़े मामले में सुबूत के अभाव में अदालत ने 21 अन्य अभियुक्तों को भी दोषमुक्त करार दिया है।
पुडुचेंरी। कांची के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और विजयेंद्र सरस्वती को एक विशेष अदालत ने बुधवार को बहुचर्चित शंकररमन हत्याकांड से बरी कर दिया। कांचीपुरम स्थित वरदाराजापेरुमल मंदिर के प्रबंधक शंकररमन की इस सनसनीखेज हत्या से जुड़े मामले में सुबूत के अभाव में अदालत ने 21 अन्य अभियुक्तों को भी दोषमुक्त करार दिया है।
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भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीएस मुरुगन ने घोषणा की कि 24 अभियुक्तों में से 23 को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से मुक्त किया जाता है। उस समय सभी अभियुक्त अदालत में मौजूद थे। इस मामले में शंकराचार्य जयेंद्र व विजयेंद्र सरस्वती को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था। कोर्ट ने कहा कि इसका कारण है कि इन अभियुक्तों की संलिप्तता का कोई सुबूत नहीं है।
एक अभियुक्त काथिरवन की इसी साल मार्च में चेन्नई में हत्या हो गई थी। जज ने कहा कि शंकररमन की हत्या के पीछे का मकसद साबित नहीं हो सका। ज्ञातव्य है कि इस मामले में वर्ष 2009 से 2012 के बीच कुल 189 गवाहों से पूछताछ हुई थी जिनमें ठेकेदार रवि सुब्रमणियम समेत 83 बाद में बयान से मुकर गए थे। ठेकेदार रवि ने पहले इस मामले में मुख्य गवाह था। बताया जाता है कि शंकररमन से मंदिर के प्रबंधन में वित्तीय अनियमितता को लेकर शंकराचार्य से अनबन चल रही थी।
कांची के दोनों धर्मगुरुओं पर आपराधिक षडयंत्र रचने व हत्या करने का आरोप लगाया गया था। वर्ष 2004 में तीन सितंबर की शाम को कांचीपुरम स्थित वरदाराजापेरुमल मंदिर परिसर में ही ए. शंकररमन की हत्या कर दी गई थी। जज ने कांचीपुरम के तत्कालीन एसपी प्रेम कुमार की इस जांच में अनावश्यक रुचि व सक्रिय भागीदारी का भी उल्लेख किया है। आदेश में कहा गया है कि जांच में प्रेम कुमार के हस्तक्षेप के कारण मुख्य जांच अधिकारी (सीआइओ) द्वारा मामले की निष्पक्ष ढंग से जांच नहीं की जा सकी।
अदालत ने यह भी कहा कि कुछ गवाहों को अपनी मर्जी से आपराधिक दंड प्रक्रिया की धारा 164 के तहत बयान नहीं दर्ज कराने के लिए धमकी दी गई और कुछ लोगों को गैर कानूनी ढंग से हिरासत में रखा गया। लोक अभियोजक देवदास ने इस फैसले के खिलाफ पुडुचेरी सरकार को अपील दायर करने के लिए पत्र लिखने की बात कही है। इस मामले में शंकराचार्य को आंध्र प्रदेश में वर्ष 2004 में नवंबर में दीपावली के दिन गिरफ्तार किया गया था। बाद में उनके उत्तराधिकारी विजयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी हुई थी। शंकररमन की पत्नी पद्मा और पुत्र आनंद शर्मा ने फैसले को अविश्वसनीय बताते हुए दुख जताया है।
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