हल्द्वानी की ‘लाइफ लाइन’ को जीवन दे रहे वरिष्ठ नागरिक
गौला नदी की गंदगी साफ करने में जुटे वरिष्ठ नागरिक समिति से जुड़े लोग...
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: कुमाऊं की लाइफ लाइन कही जाने वाली गार्गी (गौला) नदी को बचाने में जुटे वरिष्ठ नागरिक समाज के सामने मिसाल पेश कर रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उम्र के जिस पड़ाव पर लोग आराम पसंद करते हैं, उस उम्र में हल्द्वानी शहर के पांच वरिष्ठ नागरिक जीवनदायिनी गौला नदी को जीवन देने में जुटे हैं। गौला को साफ रखने का संकल्प ऐसा कि नदी में उतरकर गंदगी को साफ करते हैं। दो साल से चल रही उनकी मुहिम अब बड़ा रूप लेने लगी है। घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने आने वाले लोग भी गौला की सुचिता के लिए चल रहे स्वच्छता अनुष्ठान में शामिल हो रहे हैं।
धीरे-धीरे शहर के दूसरे संगठन भी उनका साथ होने लगे हैं। काठगोदाम के रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर वरिष्ठ नागरिक समिति हर सप्ताह के शनिवार को सफाई अभियान चलाकर नदी को साफ करती है। समिति के सदस्य घाट पर शव का दाह संस्कार करने आने वाले लोगों को नदी को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक करते हैं। चित्रशिला घाट पर रोजाना औसतन 10-12 शवों का दाह संस्कार होता है। इन्हें जलाने के लिए प्रति शव पांच से सात क्विंटल लकड़ी की जरूरत होती है। शवदाह के बाद लोग अवशेष लकड़ी, कपड़े और अन्य सामान नदी में फेंक देते हैं। कई बार अधजले अंग भी नदी में बहा दिए जाते हैं, जिससे जल दूषित होता है।
इसी पानी को हल्द्वानी शहर में पीने के उपयोग में लाया जाता है। वरिष्ठ नागरिक आनंद सिंह ठठोला बताते हैं कि समिति ने मार्च 2015 में सफाई अभियान की शुरुआत की थी। शुरू में समिति से जुड़े पांच लोगों की टोली ने नदी में उतरकर उसमें जमा गंदगी को बाहर निकाला। समिति अब रानीबाग में विद्युत शवदाह गृह बनाने के लिए अभियान चलाने की तैयारी कर रही है। गौला नदी की सफाई में भारत स्वाभिमान संस्था भी जुटी है। संस्था के अध्यक्ष कौस्तुभानंद जोशी ने घाट पर टिन शेड बनवाए और उनकी टीम सफाई अभियान में सक्रिय रहती है।
-दाह संस्कार करने आने वालों को करते हैं जागरूक
-शहर के दूसरे संगठन भी करने लगे हैं सहयोग
गौला हमें पीने के लिए पानी देती है। हमारा जीवन उस पर निर्भर है। इसलिए हमें गौला ही नहीं सभी नदियों को बचाने का प्रयास करना चाहिए। हम भी यही प्रयास कर रहे हैं।
-आनंद सिंह ठठोल, पूर्व नौसेना अधिकारी
गौला में हर दिन कई शव जलाए जाते हैं और उनके अवशेष नदी में बहा दिए जाते हैं। जिससे जल दूषित होता है। इसीलिए हम नदी को साफ बनाने के लिए अभियान चला रहे हैं।
-दयाकिशन बल्यूटिया, सेवानिवृत्त नगर निगम कर्मी
गौला को बचाने का अभियान किसी एक का नहीं है। सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। गौला का जलस्तर भी कम हो रहा है, जो चिंताजनक है।
-कौस्तुभानंद जोशी, अध्यक्ष, भारत स्वाभिमान संस्था
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