जल्दबाजी में सुकमा हमले का बदला लेने के पक्ष में नहीं है गृहमंत्रालय
सुकमा हमले का बदला लेने के लिए अब सुरक्षा एजेंसियों नक्सलियों के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने पर ध्यान देंगी।
नई दिल्ली (नीलू रंजन)। नक्सलियों से सुकमा हमले का बदला लेने की जल्दबाजी में गृहमंत्रालय नहीं है। मंत्रालय नक्सलियों के खिलाफ पूरी तैयारी और सोची-समझी रणनीति के तहत कार्रवाई चाहता है। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दे दिये गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों को साधारण नक्सलियों के बजाय उनके वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने को कहा गया है।
सुकमा हमले के बाद नक्सलियों के खिलाफ रणनीति के बारे में पूछने पर गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जल्दबाजी में बदले की कार्रवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई में निर्दोष ग्रामीणों के निशाना बनाने की शिकायत आती है, जिससे पूरा नक्सल विरोधी विरोधी आपरेशन प्रभावित हो जाता है। इसके बजाय केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को स्थानीय पुलिस बल के साथ मिलकर सोची-समझी रणनीति के साथ आपरेशन शुरू करने को कहा गया है। मानसून के पहले ऐसे कुछ बड़े आपरेशन बस्तर के इलाके में हो सकते हैं। मानसून के दौरान बस्तर के जंगलों में आपरेशन मुश्किल हो जाता है और नक्सलियों की आवाजाही भी कम हो जाती है।
लेकिन गृहमंत्रालय का सबसे अधिक जोर बड़े नक्सली नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाने पर है। मंत्रालय नक्सल आपरेशन में लगे सुक्षा एजेंसियों को बड़े नक्सली नेताओं के बारे में अधिक-से-अधिक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है। बड़े नक्सली नेताओं के मारे जाने से नक्सली आंदोलन खुद-ब-खुद कमजोर जाएगा और छोटे नक्सलियों के सामने आत्मसमर्पण के अलावा कोई रास्ता नहीं रहेगा। सुरक्षा बलों के बढ़ते वर्चस्व के कारण बड़ी संख्या में नक्सली अब भी समर्पण कर रहे हैं। लेकिन बड़े नेता बचे-खुचे नक्सलियों को सुरक्षा बलों के खिलाफ खिलाफ कार्रवाई के लिए उकसाने में सफल होते हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ नई रणनीति पर विस्तार से चर्चा आठ मई को नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में होगी। स्थानीय स्तर पर इस रणनीति को कारगर बनाने के लिए नक्सली समस्या से सबसे अधिक प्रभावित 35 जिलों को जिलाधिकारियों (डीएम) को बुलाया गया है। इसके साथ ही नक्सली आपरेशन में लगे सभी अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुख भी इसमें उपस्थित होंगे। दरअसल पिछले छह-सात सालों में सुरक्षा बल नक्सली हिंसा पर काफी हद तक काबू पाने में सफल रहे हैं। हिंसा से संबंधित आंकड़े इसके सबूत हैं। लेकिन आगे नक्सलियों को जड़-मूल से खत्म करने और उनके प्रभाव वाले इलाकों में विकास योजनाओं की गति तेज करने के लिए नई रणनीति की जरूरत है। संबंधित मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श के बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
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