कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों की नई रणनीति
सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की सैन्य आपरेशन के दौरान अड़चन पैदा करने वाले युवाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी इसी रणनीति का हिस्सा है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। अलगाववादी हुर्रियत नेताओं को अलग-थलग करने के बाद सुरक्षा एजेंसियां अब आतंकी और अलगाववादी समर्थकों पर शिकंजा कसने में जुट गई है। इसके लिए एक ओर पाकिस्तानी दुष्प्रचार से प्रभावित युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए काउंसलिंग की जा रही है, तो दूसरी ओर आतंकियों की मदद करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा रही है। सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत की सैन्य आपरेशन के दौरान अड़चन पैदा करने वाले युवाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी इसी रणनीति का हिस्सा है।
कश्मीर में आपरेशन से जुड़े सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले ढाई साल में घाटी में अलगाववादी हुर्रियत नेताओं को अलग-थलग करने में अहम सफलता मिली है। आतंकी बुरहान बानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद चार महीने तक बंद का सफल संचालन करने वाला हुर्रियत खुद-ब-खुद पीछे हटने पर मजबूर हो गया। हुर्रियत को अलग-थलग करने के बाद पहली चुनौती पाकिस्तानी दुष्प्रचार से प्रभावित युवाओं को मुख्य धारा में लाने की थी। ऐसे युवाओं की काउंसलिंग का काम जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंपा गया।
पुलिस के सात महीने के प्रयासों का नतीजा भी दिखने लगा है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसके वैद्य ने ट्वीट कर इसका प्रमाण भी दिया। उनके ट्वीट में शामिल वीडियो का पहला भाग सोपोर के नागबल का पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस (14 अगस्त) के अवसर का है। इस वीडियो में कुछ युवा पाकिस्तानी हरी-सफेद टी-शर्ट पहने, पाकिस्तान का झंडा हाथ में लिए और आतंकी बुरहान बानी का पोस्टर लिए नारे लगाते मार्च करते दिख रहे हैं।
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दूसरे वीडियो में वही लड़के 26 जनवरी को बर्फबारी के बीच भारतीय झंडे के साथ दौड़ते देखे जा सकते हैं। वैद्य का कहना है कि पुलिस घाटी के सबसे ज्यादा प्रभावित 10 जिलों में यह अभियान चला रही है और इसमें अहम सफलता मिल रही है।
सक्रिय आतंकियों के खात्मे की मुहिम
भ्रमित युवाओं को मुख्यधारा में लाने के साथ ही सुरक्षा एजेंसियां घाटी में सक्रिय आतंकियों को पूरी तरह से खत्म करने की मुहिम में जुटी हैं और इसमें आम जनता का सहयोग भी मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि आतंकी गतिविधियों के बारे में सटीक जानकारी मिल रही है और बड़ी संख्या में उन्हें मुठभेड़ में मार गिराने में सफलता भी मिल रही है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोगों का मानना है कि घाटी में सक्रिय कट्टर आतंकियों की संख्या अब लगभग 30 रह गई है। जबकि छह महीने पहले तक उनकी संख्या 150 के आसपास बताई जा रही थी।
मुठभेड़ के दौरान पथराव की घटनाएं चिंता का विषय
मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों पर पथराव की बढ़ती घटनाएं हालांकि नई चिंता का कारण बन गई हैं। कश्मीर में सीआरपीएफ के आइजी (आपरेशन) जुल्फिकार हसन स्वीकार करते हैं कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों में पत्थरबाजी की घटनाओं से आतंकियों के खिलाफ आपरेशन में परेशानी आ रही है। लेकिन साथ ही उनका कहना है कि कई मामलों में आतंकियों के दबाव में आम जनता को ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने लोगों से आतंकियों के डर के आगे नहीं झुकने की अपील भी की है।