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राहुल बोले, धर्मनिरपेक्षता हमारे खून में है, हमसे आरएसएस हार जाएगा

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस असहिष्णुता के खिलाफ लड़ती रहेगी। देश में डर का माहौल है। हम इस देश में मोहन भागवत की औसत सोच नहीं चाहते हैं। आरएसएस को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आने वाले दिनों में उसे किसका सामना करना

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2015 01:47 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2015 04:53 AM (IST)

नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस असहिष्णुता के खिलाफ लड़ती रहेगी। देश में डर का माहौल है। हम इस देश में मोहन भागवत की औसत सोच नहीं चाहते हैं। आरएसएस को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आने वाले दिनों में उसे किसका सामना करना पड़ेगा। राहुल ने शनिवार को ये विचार नो पीस विदाउट फ्रीडम सम्मेलन में व्यक्त किए।

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राहुल ने कहा कि हम यहां इसलिए एकत्रित हुए हैं, क्योंकि देश में शांति और स्वतंत्रता को घायल किया जा रहा है। आरएसएस का उद्देश्य देश में धार्मिक और निरंकुश राज्य की स्थापना करना है। ऐसा करने के लिए उन्हें वर्तमान के उदार, विकासशील, धर्मनिरपेक्ष व सामाजिक लोकतांत्रिक गणतंत्र को नष्ट करना होगा।

राहुल के मुताबिक, पिछले आठ महीनों में उन्होंने जो किया है उसे देखकर लगता है कि वो इसे नष्ट करने के लिए हर ताकत का उपयोग करेंगे। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आस्था, पूजा, विचारों व मान्यताओं पर हमले की निंदा करते हैं। राहुल ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता हमारे खून में है, हमसे आरएसएस हार जाएगा।

बीजेपी ने साधा निशाना

उधर राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में आपातकाल लगान वाली पार्टी दूसरों को सीख ना दे ।

'उन्होंने कहा कि पुरस्कार लौटाना गलत है। अगर उन लोगों को कोई परेशानी है तो उन्हें इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी से बात करनी चाहिए।'

गौरतलब है कि शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करने वाली हालिया घटनाएं काफी अफसोसनाक हैैं। इससे पूरा देश चिंतित है। असहमति या बोलने की आजादी को दबाने से देश के आर्थिक विकास के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। आजादी के बिना मुक्त बाजार बेमायनी है।

उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म किसी भी सार्वजनिक नीति का आधार नहीं बन सकता। धर्म एक निजी मामला है, जिसमें राज्य के साथ-साथ किसी का भी दखल सही नहीं। धर्मनिरपेक्षता तो आस्था का ही हिस्सा है, ये नागरिकों की मूलभूत आजादी की रक्षा करता है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता और विविधता के लिए सम्मान, धर्मनिरपेक्षता और बहुलतावाद किसी भी लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होता है।

उन्होंने कहा कि कुछ हिंसक कट्टरपंथी समुदायों द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम कसने की कोशिश ने हाल ही में कुछ दुखद घटनाओं को अंजाम दिया है। कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का उदाहरण देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि नवीनीकरण, उद्यमिता व प्रतिस्पर्धा के लिए किसी भी समाज का उन्मुक्त और उदार होना जरूरी है।

पढ़ेंः असहिष्णुता पर पीएम मोदी ने दी मंत्रियों को सलाह


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