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छात्रों को शारीरिक दंड देना बंद करें स्कूल

स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड देने की देशभर से लगातार आ रही खबरों के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय [डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी] ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए स्कूलों को निर्देश दिया है कि इसपर तत्काल रोक लगाई जाए। इसके तहत स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि छात्रों को शारीरिक दंड देने पर पूरी तर

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 10:30 PM (IST)
छात्रों को शारीरिक दंड देना बंद करें स्कूल

मुंबई। स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड देने की देशभर से लगातार आ रही खबरों के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय [डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी] ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए स्कूलों को निर्देश दिया है कि इसपर तत्काल रोक लगाई जाए। इसके तहत स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि छात्रों को शारीरिक दंड देने पर पूरी तरह से रोक लगे नहीं तो उनके खिलाफ संबंधित विभाग से कड़ी कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी गई है।

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स्कूलों में शारीरिक दंड का प्रावधान पूरी तरह से समाप्त करने को लेकर संबंधित विभागों से सर्कुलर व दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके लिए काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एक्जामिनेशन [सीआइएससीई] ने अपने वेबसाइट पर नोटिफिकेशन भी अपलोड कर दिया है। सीआइएससीई ने उम्मीद जताई है कि सभी स्कूल इस संबंध में दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। साथ ही हिदायत दी है कि ऐसा नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सर्कुलर में इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से कराए सर्वे का उल्लेख है जिसमें देश के स्कूलों में बच्चों की दयनीय स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है। 2007 के एक सर्वे के मुताबिक हर तीन में से दो स्कूलों में छात्रों को शारीरिक दंड दिए जाने की बात सामने आई है। 2011 के एक सर्वे में स्कूलों और कक्षाओं में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े तबके के छात्रों के साथ किस तरह का भेदभाव व स्कूलों में उन्हें शिक्षकों को और प्रबंधन कि ओर से किस तरह से अपमानित किया जाता है का खुलासा हुआ है।

पढ़ें: बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ मंजूर नहीं


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