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सुप्रीम कोर्ट से जैन समुदाय को फौरी राहत, संथारा से हटी रोक

जैन धर्मावलंबियों को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। फिलहाल संथारा पर रोक हट गई है। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसने संथारा को गैरकानूनी ठहराते हुए प्रतिबंधित कर दिया था। जैन धर्मावलंबी संथारा प्रथा का पालन करते हैं जिसमें भोजन

By Sachin kEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 11:35 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 02:10 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जैन धर्मावलंबियों को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। फिलहाल संथारा पर रोक हट गई है। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसने संथारा को गैरकानूनी ठहराते हुए प्रतिबंधित कर दिया था।

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जैन धर्मावलंबी संथारा प्रथा का पालन करते हैं जिसमें भोजन त्याग दिया जाता है और इससे मृत्यु हो जाती है। राजस्थान हाईकोर्ट ने संथारा प्रथा को आत्महत्या करार देते हुए आइपीसी की धारा 309 में अपराध माना था। हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया था कि संथारा की शिकायत मिलने पर वह कानून के मुताबिक कार्रवाई करे। इस आदेश के खिलाफ जैन धर्मावलंबी सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैं।

सुप्रीमकोर्ट ने उनकी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उपरोक्त अंतरिम आदेश जारी किए। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाओं पर प्रतिपक्षी बनाई गई केंद्र सरकार व अन्य पक्षों को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया।

मर्म समझे बिना आदेश पारित

जैन समुदाय की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने जैन धर्म का मर्म समझे बगैर आदेश पारित कर दिया है। जैन धर्म हिंसा के खिलाफ है। आत्महत्या भी स्वयं के प्रति हिंसा है इसलिए जैन धर्म इसका समर्थन नहीं करता। आत्महत्या जबरदस्ती जीवन का अंत करना है जबकि संथारा में प्राकृतिक रूप से मृत्यु होती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हाईकोर्ट ने उनका पक्ष सुने बगैर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए संथारा पर रोक लगाने का आदेश पारित कर दिया है। याचिका में हाईकोर्ट का आदेश निरस्त करने की मांग की गई है।

महिला ने की संथारा की घोषणा

रोक हटने के साथ ही राजस्थान के बीकानेर के गंगानगर की 86 वर्षीय वंदना देवी डागा ने संथारा लेने की घोषणा कर दी। वह पिछले 46 दिन से व्रत पर थीं, लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के संथारा प्रथा से रोक हटाने के बाद उनके परिवार ने इसे संथारा घोषित कर दिया। इनके तीन बेटे और एक बेटी हैं और पापड़-भुजिया बनाने का व्यवसाय है। बेटे किरणचंद डागा ने बताया कि व्रत लेने के 15 दिन बाद हमने उनसे भोजन लेने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वे स्वेच्छा से इस व्रत को जारी रख रही हैं और हमें इस बात की खुशी है कि वे मोक्ष पथ पर आगे बढ़ रही हैं।

सत्य व एकता की जीत

अदालत के फैसले को जयपुर में चातुर्मास कर रहे मुनि श्री प्रमाण सागरजी ने इसे सत्य और जैन समाज की एकता की जीत बताया है। प्रमाण सागरजी ने कहा कि कोर्ट को अंतिम निर्णय भी संथारा के पक्ष में आए, इसके लिए जयपुर में 5 से 10 सितंबर तक णमोकार मंत्र के एक करोड़ जाप किए जाएंगे। इस बीच, राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन संथारा को आत्महत्या नहीं माना जा सकता। उन्होंने कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है।

पढ़ेंः संथारा पर जैन समाज पहुंचा सुप्रीम कोर्ट


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