पोल्ट्री फार्मों में मुर्गियों से क्रूरता पर सुप्रीम कोर्ट की नजर
पोल्ट्री फार्मों में मुर्गियों को जिन बदहाल परिस्थितियों में रखा जाता है, उस तरफ सुप्रीम कोर्ट ने भी ध्यान दिया है।
नई दिल्ली। पोल्ट्री फार्मों में मुर्गियों को जिन बदहाल परिस्थितियों में रखा जाता है, उस तरफ सुप्रीम कोर्ट ने भी ध्यान दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को सरकार से इस मुद्दे पर जवाब तलब किया।
अदालत ने पूछा कि क्या पशु कल्याण बोर्ड द्वारा मुर्गियों को पिंजड़े में रखने के लिए निर्धारित नियमों का पालन किया जा रहा है? और इन नियमों को लागू करने के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं?
इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि मुर्गियों को पिंजड़े में रखने के लिए पशु कल्याण बोर्ड ने कुछ सिफारिशें की थीं। लेकिन 2010 और 2013 की इन सिफारिशों को सरकार ने लागू नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि पोल्ट्री फार्मों में अंडे देने वाली मुर्गियों को छोटे-छोटे तार के पिंजड़ों में रखा जाता है। इनमें पंख फैलाने तक की जगह नहीं होती है। उन्होंने कहा कि मुर्गियों को हिलने-डुलने तक की जगह नहीं देना सरासर क्रूरता है।
इतना ही नहीं, चूजों को सेते समय पता लगा लिया जाता है कि कौन नर है और कौन मादा? इसके बाद नर चूजों को एक बैग में डाल दिया जाता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। मरे हुए चूजों को ग्राइंडर में पीसकर उनका मांस मुर्गियों को खिला दिया जाता है।
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