Move to Jagran APP

राजीव के हत्यारे भी फांसी से बचे, सजा उम्रकैद में बदली

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। पूर्व प्रधानमंत्री और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी के हत्यारों को सरकार फांसी के फंदे तक नहीं पहुंचा पाई। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग सरकार को बड़ा झटका देते हुए राजीव गांधी के तीन हत्यारों की फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी। कोर्ट ने दया याचिका निपटाने में हुई 11 साल की देरी को प्रताड़ना और अनुचित बताते हुए यह फैसला दिया।

By Edited By: Published: Tue, 18 Feb 2014 10:53 AM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2014 01:24 AM (IST)

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। पूर्व प्रधानमंत्री और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी के हत्यारों को सरकार फांसी के फंदे तक नहीं पहुंचा पाई। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग सरकार को बड़ा झटका देते हुए राजीव गांधी के तीन हत्यारों की फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी। कोर्ट ने दया याचिका निपटाने में हुई 11 साल की देरी को प्रताड़ना और अनुचित बताते हुए यह फैसला दिया।

loksabha election banner

यह पहला मौका है जब आतंकवादियों की फांसी दया याचिका निपटाने में देरी के आधार पर माफ हुई है। इससे पहले गत 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 15 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। इनमें हरियाणा के दंपति संजीव-सोनिया और वीरप्पन के चार सहयोगी भी शामिल थे।

राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 में श्रीपेरुंबुदूर में लिंट्टे के आत्मघाती दस्ते ने बम विस्फोट से की थी। टाडा कोर्ट ने चार हत्यारों वी. श्रीहरन उर्फ मुरुगन, टी. सुथेन्द्रराजा उर्फ सान्तन, एजी पेरारिवलन उर्फ अरिव तथा एक मात्र महिला दोषी नलिनी को फांसी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 1999 में चारों की फांसी पर मुहर लगा दी। अप्रैल 2000 में तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी, लेकिन बाकी तीनों की फांसी बरकरार रखी थी।

राज्यपाल के दया याचिका खारिज करने के बाद राज्य सरकार ने 2000 में तीनों दोषियों की दया याचिकाएं राष्ट्रपति को भेजीं। राष्ट्रपति ने अगस्त 2011 में तीनों की दया याचिकाएं ठुकरा दीं।

दोषियों नें दया याचिका निपटाने में हुई 11 साल की देरी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट से फांसी माफी की अपील की थी। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने तीनों हत्यारों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए उनकी फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी।

कोर्ट ने कहा है कि उम्रकैद का मतलब जीवनभर की कैद है। हालांकि, उम्रकैद की यह सजा कानून में सरकार को मिले माफी देने के अधिकार के अधीन होगी। माफी देते समय सरकार कानून में तय प्रक्रिया का ध्यान रखेगी।

कोर्ट ने दया याचिका निपटाने में अनुचित और मनमानी देरी न होने की अटार्नी जनरल जीई वाहनवती की दलील खारिज कर दी।

जानिए राजीव गांधी हत्याकांड में कब क्या हुआ

कोर्ट ने अटार्नी जनरल की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि दोषियों को जेल में कोई प्रताड़ना नहीं हुई बल्कि उन्होंने वह समय मनोरंजन में बिताया इसलिए वे फांसी से माफी के हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि अटार्नी जनरल की दलील तथ्यों से विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देरी न्याय की निष्पक्ष और सही प्रक्रिया का उल्लंघन है। दया याचिका निपटाने में हुई अनुचित देरी न सिर्फ अमानवीय है बल्कि मौलिक अधिकार का हनन भी है। पीठ ने शत्रुघ्न चौहान मामले में पूर्व में दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि फांसी देने में हुई अनुचित देरी न सिर्फ मानसिक प्रताड़ना है बल्कि अमानवीय और क्रूर भी है।

"www.द्भड्डद्दह्मड्डठ्ठ.ष्श्रद्व/श्चद्धश्रह्लश्रद्दड्डद्यद्यद्गह्म4-3167.द्धह्लद्वद्यप्तश्चद्धश्रह्लश्रस्त्रद्गह्लड्डद्बद्य" ह्लड्डह्मद्दद्गह्ल="ट्ठढ्डद्यड्डठ्ठद्म">तस्वीरों में देखिए, राजीव गांधी के हत्यारों की सजा उम्रकैद में बदली

राजीव गांधी के हत्यारे फांसी के लायक: सुप्रीम कोर्ट

आतंकियों की फांसी यूं ही माफ नहीं होने देगा केंद्र

पढ़ें: देरी के कारण फांसी माफी के हकदार नहीं राजीव के हत्यारे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.