अश्लील साइट्स बंद करने पर जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि क्या केंद्र इंटरनेट सेवा प्रदाताओं [आइएसपी] को अश्लील साइट्स बंद करने को लेकर निर्देश जारी करने में सक्षम है या नहीं। जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि क्या केंद्र इंटरनेट सेवा प्रदाताओं [आइएसपी] को अश्लील साइट्स बंद करने को लेकर निर्देश जारी करने में सक्षम है या नहीं। जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
पेशे से अधिवक्ता कमलेश वासवानी की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया। आइएसपी ने कोर्ट को बताया था कि वे अश्लील साइट्स को सरकार के निर्देश पर ही बंद कर सकते हैं। इसके बाद शीर्ष अदालत ने यह निर्देश जारी किया। याची का कहना है कि इस तरह की वेबसाइट्स की वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे है। वासवानी के वकील विजय पंजवानी ने आरोप लगाया कि अश्लील साइट्स को बंद करने को लेकर सक्षम तंत्र विकसित करने में केंद्र नाकाम रहा है। उनके मुताबिक, इंटरनेट के लिए विशेष कानून न होने की वजह से लोग इस तरह के साइट्स को देखते हैं, क्योंकि यह अपराध नहीं है। उन्होंने इंटरनेट के जरिये अश्लील वीडियो के आदान-प्रदान को गैरजमानती अपराध बनाने की मांग की है।
सेना में भर्ती नीति पर पुनर्विचार से इन्कार
नई दिल्ली। सेना में नियुक्तियों के बारे में अपने पूर्व फैसले पर पुनर्विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, अदालत ने 11 फरवरी को दिए गए फैसले में कोई त्रुटि नहीं पाई। लिहाजा, इस याचिका को खारिज किया जाता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट सेना में भर्ती पर सवाल उठाने वाली आइएस यादव की याचिका पर विचार करने से पहले ही मना कर दिया था। यादव ने इसी फैसले के खिलाफ पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। याची ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत ने पूर्व में दिए फैसले में महत्वपूर्ण पहलुओं पर गौर नहीं किया, इसलिए उस निर्णय की समीक्षा की जाए।