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सरबजीत: कैद से कोमा तक

पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में पिछले करीब 23 साल से कैद भारतीय सरबजीत सिंह जिंदगी मौत के बीच जूझ रहे हैं। वहां के जेल प्रशासन की लापरवाही के चलते जेल के अन्य कैदियों द्वारा किए गए हमले में वह गंभीर रूप से घायल गहरे कोमा की हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भत

By Edited By: Published: Mon, 29 Apr 2013 07:27 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2013 07:30 AM (IST)
सरबजीत: कैद से कोमा तक

नई दिल्ली। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में पिछले करीब 23 साल से कैद भारतीय सरबजीत सिंह जिंदगी मौत के बीच जूझ रहे हैं। वहां के जेल प्रशासन की लापरवाही के चलते जेल के अन्य कैदियों द्वारा किए गए हमले में वह गंभीर रूप से घायल गहरे कोमा की हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती है। सरबजीत की कैद से कोमा तक पहुंचने के घटनाक्रम पर एक नजर:

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-28 अगस्त, 1990 को सीमा पार पाकिस्तान में गिरफ्तार। नौ महीने बाद उनके परिवार को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिससे उनके पाकिस्तान की एक जेल में कैद होने की बात पता चली।

-1991: जासूसी और लाहौर व फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगा। लाहौर की एक अदालत में मुकदमा चलाया गया। कोर्ट ने पाकिस्तान सैन्य कानून के तहत मौत की सजा सुनाई। बाद में इस सजा को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखा गया।

-मार्च, 2006 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी समीक्षा याचिका खारिज की। हालांकि खारिज करने का कारण मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरबजीत के वकील का अनुपस्थित रहना बताया गया।

-तीन मार्च, 2008 को तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने सरबजीत की दया याचिका को वापस कर दिया।

अप्रैल, 2008 में परिजनों ने सरबजीत से लाहौर जेल में मुलाकात की।

मई, 2008 में पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को फांसी दिए जाने पर अनिश्चितकालीन रोक लगाई।

-26 जून, 2012 को यह खबर आईं कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सरबजीत की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। आमतौर पर पाकिस्तान में उम्रकैद की सजा 14 साल के लिए होती है और सरबजीत पहले ही 22 साल सजा काट चुके थे, लिहाजा शीघ्र रिहा होने की खबर से आईं खुशियों पर तुरंत तुषारापात करते हुए पाकिस्तान ने ऐसी किसी सूचना से इंकार किया। बाद में कहा कि ये खबर दूसरे कैदी सुरजीत सिंह के संबंध में थी।

26 अप्रैल, 2013 को जेल में अन्य कैदियों के हमले में गंभीर रूप से घायल हुए।

कोट लखपत जेल:

-पाकिस्तान के लाहौर में कोट लखपत के पास स्थित इस मशहूर जेल को सेंट्रल जेल लाहौर के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि पाकिस्तान की किसी भी जेल की हालत ऐसी नहीं है, जिसकी सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा किया जा सके, लेकिन इस जेल में कैदियों पर होने वाले हमले और उन्हें दी जाने वाली यातनाओं की हालिया खबरें यहां के कैदियों की सुरक्षा की पोल खोलने के लिए काफी हैं। हाल ही में इसी जेल में बंद भारतीय कैदी चमेल सिंह की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। करीब 4000 कैदियों की क्षमता वाली इस जेल में जुल्फिकार अली भु˜ो समेत कई मशहूर हस्तियां बतौर कैदी रह चुकी हैं।

जिन्ना अस्पताल:

-करीब 105 एकड़ में बने लाहौर के इसी अस्पताल में सरबजीत का इलाज चल रहा है। करीब 1500 बिस्तरों की क्षमता वाले इस अस्पताल में 65 फिजिशियन और सर्जन सलाहकारों की टीम है। 1994 में इस अस्पताल ने काम करना शुरू किया। पूरी तरह की पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी सेवाओं से लैस इस अस्पताल में आमतौर पर सभी चिकित्सा विभाग काम करते हैं। माना जाता है कि लाहौर का यह दूसरा सबसे अच्छी सेवाएं देने वाला अस्पताल है।

कौन है सरबजीत सिंह:

भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित भिखीविंड के रहने वाले हैं। यह पंजाब (भारत) के तरनतारन जिले में पड़ता है। इनकी शादी सुखप्रीत कौर से हुई है। इनकी दो बेटियां स्वप्नदीप और पूनम कौर हैं। सरबजीत की बहन दलबीर कौर उनकी रिहाई को लेकर हर स्तर पर लंबे अर्से से मुहिम चलाए हुए हैं।

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