साहब, अब जीने का मन नहीं करता..
प्रतिशोध की आग में पांच दलित महिलाओं को निर्वस्त्र करगांव में घुमाने की बेहद शर्मनाक घटना ने उप्र के चेहरे पर कालिख पोत दी है। अबलाओं की चीख लखनऊ तक पहुंची तो कमिश्नर और डीआइजी दौड़कर गांव पहुंचे।
शाहजहांपुर । प्रतिशोध की आग में पांच दलित महिलाओं को निर्वस्त्र करगांव में घुमाने की बेहद शर्मनाक घटना ने उप्र के चेहरे पर कालिख पोत दी है। अबलाओं की चीख लखनऊ तक पहुंची तो कमिश्नर और डीआइजी दौड़कर गांव पहुंचे।
पहले दिन छह महिलाओं समेत दस लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। रविवार को पीडि़त पक्ष द्वारा ऐतराज जताने पर बर्बरता के आरोपी दस और लोगों पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी। इतना बड़ा कांड होने के बावजूद पुलिस चार लोगों को ही गिरफ्तार कर सकी है।
कमिश्नर और डीआइजी जख्मों पर मरहम रखने पहुंचे तो पांचों महिलाओं ने बिलख-बिलख कर रोंगटे खड़े कर देने वाली दास्तां सुनाई। बताया कि आरोपियों ने न केवल बदन के कपड़े तार-तारकर दिए थे, बल्कि जानवरों की तरह गांव की गली में हांका भी..।
अमानवीयता की हद पार कर देने वाली यह घटना जलालाबाद इलाके के हरेवा गांव में शनिवार को हुई थी। विवाद लड़की के कथित अपहरण को लेकर था, जिसका मुकदमा भी दर्ज है। बावजूद इसके लड़की के पिता सर्वेश समेत उसके पक्ष के लोग 'तालिबानी' बन बैठे। अपहरण के आरोपी संतोष के परिवार पर हमला बोल दिया। पांच महिलाओं को खासतौर से निशाना बनकर निर्वस्त्र कर दिया। सरेआम गांव में पांचों महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाया। जानवरों की तरह हांका। इस दौरान पूरा गांव खामोशी साधे रहा।
शनिवार को ही इस बर्बरता से खफा शासन और डीजीपी एके जैन ने सख्ती के निर्देश दिये तो रविवार दोपहर 12 बजे कमिश्नर प्रयांशु यादव व डीआइजी आरकेएस राठौर महिलाओं के घर पहुंचे। सांत्वना के बाद बयान लेने शुरू किए तो उनके दिल में दबा अपमान का गुबार फूट पड़ा। पापंचों दहाड़े मारकर रोने लगीं। ज्यादती का हर लम्हा बयां किया। बताया, साहब, उन लोगों ने बेइज्जत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जीने का मन नहीं करता, क्या मुंह दिखाएं गांव में..। हमें बंधक बनाया। बदन के सारे कपड़े तार-तार कर दिए। फिर पूरे गांव में घुमाया।
पुलिस पर भी गंभीर आरोप
पूरे मामले में अफसरों की भूमिका पर भी पीडि़त परिवार ने गंभीर सवाल उठाए। बोले, देर से पहुंचा फोर्स। कई आरोपियों के खिलाफ मुकदमा ही दर्ज नहीं किया। इस पर अफसरों ने पीडि़त परिवार को सुरक्षा व कार्रवाई का आश्वासन दिया।
अपहृत किशोरी के घर भी गए
पीडि़त महिलाओं के बयान लेने के बाद कमिश्नर व डीआइजी अपहृत किशोरी के घर गए। यहां महिलाओं ने बताया कि पुलिस ने शुक्रवार को अपहरण की रिपोर्ट लिख ली मगर लड़की नहीं मिली। इसके बाद ग्रामीणों के भी बयान लिए गए।
दोनों अफसरों के साथ डीएम शुभ्रा सक्सेना, एसपी आरपीएस यादव भी साथ रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भी कांग्रेसियों के साथ गांव पहुंचे और पीडि़तों को मदद और न्याय का भरोसा दिलाया।
अपमान की कीमत एक-एक लाख
डीजीपी की सक्रियता के बाद रविवार को ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीडि़त पांचों महिलाओं के लिए एक-एक लाख रुपये मदद का एलान किया। इस पर पीडि़त पक्ष का कहना है, यह कीमत सम्मान को वापस नहीं ला सकती। हमारे अपमान की कीमत यही लगाई गई है।
प्रशासन की बोली-नब्बे हजार
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद स्थानीय प्रशासन ने भी पीडि़त महिलाओं के अपमान की बोली नब्बे-नब्बे हजार लगाई। यानी आरोपियों पर कार्रवाई की सख्ती के बजाए इतनी रकम मदद के तौर पर डीएम ने देने का एलान किया है।
इनका कहना है
इस गंभीर मामले में डीएम को टीआर 27 के तहत तत्काल कोषागार से धनराशि निकालकर पीडि़तों को आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष व समाज कल्याण विभाग से भी आर्थिक मदद मिलेगी। पुलिस को लड़का-लड़की की बरामदगी के साथ बाकी बचे आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं। फिलहाल पांच आरोपी पुलिस पकड़ में हैं।
- प्रमांशु कुमार, कमिश्नर
गांव कश्यप बाहुल्य है। दोनों पक्षों के घरों के बीच थोड़ा ही फासला है। लड़की पक्ष ने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस पर आरोपी पक्ष के पुरुष घर से फरार हो गए, सिर्फ महिलाएं बची थीं। लड़की पक्ष की महिलाएं आरोपी पक्ष की महिलाओं को घर से पकड़कर ले गई। कुछ पुरुषों की मौजूदगी भी बताई जा रही। इसके बाद मारपीट व अभद्रता की गई। गलत आचरण कर वादी आरोपी बन चुके हैं। चार पुरुष व एक महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। अन्य की तलाश है। हर हालत में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
-आरकेएस राठौर, डीआइजी बरेली रेंज