आरटीआई में मांगी 70 देवी-देवताओं की जानकारी, ASI को आया पसीना
इस बारे में अधिकारी कहते हैं कि देवी-देवताओं की प्रामाणिकता के बारे में कुछ भी बोलना लोगों की आस्था पर सवाल उठाना है।
नई दिल्ली । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी इन दिनों देवी-देवताओं के इतिहास की खोज में जुटे हुए हैं। यह काम एसएसआई के अधिकारियों के लिए चुनौती भी है और गले की फांस भी। यही वजह है कि करीब डेढ़ महीने पहले मांगी गई जानकारी का जवाब कई केंद्रों ने अब तक नहीं भेजा है। यह मुश्किल पैदा हुई है महाराष्ट्र के एक व्यक्ति की आरटीआई से, जिसने राम-रावण, ब्रह्मा-विष्णु-महेश समेत 70 देवी-देवताओं के जन्म--मृत्यु की जानकारी चाही है।
इस बारे में अधिकारी कहते हैं कि देवी-देवताओं की प्रामाणिकता के बारे में कुछ भी बोलना लोगों की आस्था पर सवाल उठाना है। इसलिए उन केंद्रों के लिए इसका जवाब देना ज्यादा मुश्किल हो रहा है जहां संबंधित देवी-देवताओं का जन्मस्थल माना जाता है। देशभर में हैं मंदिर और धाम दरअसल, हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के इतिहास को जानने के लिए नागपुर के मनोज मारकंडे राव वाहने ने एएसआई में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, विष्णु, ब्रह्मा, महादेव शंकर, हनुमान, शनि देव, नारद, रावण की जन्म स्थल, जन्मतिथि, मृत्युतिथि और स्थल की जानकारी मांगी है।
इसके साथ देवी दुर्गा, लक्ष्मी, काली, पार्वती, शारदा के साथ ऋषिष वाल्मीकि, गौतमबुद्ध, भगवान महावीर के जन्म व मृत्यु के बारे में जानकारी मांगी है। कुल 70 देवी--देवताओं के इतिहास के बारे में जानकारी मांगी गई है। चूंकि देशभर में देवी--देवताओं के मंदिर और धाम हैं इसलिए एएसआई ने सभी सर्कल में इस संबंध में जानकारी मांगी और आरटीआई का जवाब देने को कहा। राय-मशविरा हो रहा, क्या जवाब दिया जाए हालांकि कुछ केंद्रों ने इस आरटीआई के जवाब में कहा कि इस संबंध में उनके पास कोई जानकारी नहीं है। वहीं कुछ केंद्रों ने आरटीआई जस की तस वापस भेज दी है, तो कुछ केंद्र इस बारे में आला अधिकारियों से राय--मशविरा कर रहे हैं कि क्या जवाब दिया जाए।
अधिकारियों का कहना है कि यह सवाल धार्मिक आस्था से संबंधित है इसलिए इसका जवाब भी देना जरा मुश्किल है। एएसआई के प्रवक्ता रामनाथ फोनिया ने बताया कि आरटीआई के तहत जानकारी देने का काम सीपीआईओ का है। सभी केंद्रों को भेजी गई आरटीआई का जवाब नियमों के अनुसार भेजा जाता है। इसलिए इस आरटीआई का जवाब भी भेजा जा रहा है।