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    देश विरोधियों से सख्ती से निपटे सरकार : आरएसएस

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 11 Mar 2016 09:38 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह देश के विश्वविद्यालयों में राष्ट्रविरोधी और विभाजनकारी गतिविधियों को सख्ती से काबू में करे।

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    नागौर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह देश के विश्वविद्यालयों में राष्ट्रविरोधी और विभाजनकारी गतिविधियों को सख्ती से काबू में करे। संघ ने सवाल उठाया कि जेएनयू में देश तोड़ने का आह्वान करने वाले नारे कैसे बर्दाश्त किए जा सकते हैं?

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    संसद को उड़ाने की साजिश रचने वाले (अफजल गुरु) को शहीद बताकर कैसे सम्मानित किया जा सकता है? मोदी सरकार को नसीहत देते हुए संघ ने कहा कि एक सक्षम और मजबूत सरकार का दायित्व है कि वह जनता में सुरक्षा का विश्वास कायम रखे।

    शुक्रवार से राजस्थान के नागौर में संघ की तीन दिनी प्रतिनिधि सभा की बैठक शुरू हुई। इसमें प्रमुख पदाधिकारियों ने केंद्र और राज्य सरकारों से राष्ट्रविरोधी और असामाजिक तत्वों से कठोरता से निपटने का आग्रह किया। संघ ने कहा कि शिक्षा परिसरों की पवित्रता और सांस्कृतिक वातावरण बनाए रखा जाए और इन्हें राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र न बनने दिया जाए।

    बैठक के उद्घाटन के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के सभी बड़े नेता और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मौजूद थे। संघ की सालाना रिपोर्ट में कई मुद्दों पर चिंता जताते हुए सरकार को सख्त कदम उठाने की सलाह दी गई है।

    इन मुद्दों पर सरकार हो सख्त

    पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद और घुसपैठ से कड़ाई से निपटें। सुरक्षा बलों की कार्यक्षमता, उनके संसाधन और प्रभारी अधिकारी की समीक्षा की जाए।

    गुजरात व हरियाणा में हुए आंदोलन न केवल प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द व विश्वास के लिए भी खतरा है।

    पश्चिम बंगाल में भीड़ द्वारा पुलिस थाना जलाना, भय का माहौल पैदा करने जैसा है। राजनीतिक दल तुष्टिकरण छोड़ें और ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लें।

    कुछ यूनिवर्सिटी में देशद्रोही गतिविधियां राष्ट्रभक्त लोगों के लिए चिंता का विषय है।

    महिलाओं को मिले मंदिर में प्रवेश

    मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे को संवेदनशील बताते हुए संघ ने कहा कि इस पर कोई राजनीति नहीं होना चाहिए। इसे विचार-विमर्श से हल करना चाहिए न कि आंदोलन से। संघ की राय है कि महिलाओं व पुरुषों को बगैर भेदभाव के मंदिरों में प्रवेश दिया जाए।

    1300 प्रतिनिधि शामिल

    सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर संघ की प्रतिनिधि सभा की औपचारिक शुरुआत की। बैठक में देशभर के 1300 से ज्यादा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

    आरक्षण रहेगा, मंदिर पर मौन

    उद्घाटन के बाद मीडिया से बातचीत में सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने सभा में आरक्षण और राम मंदिर निर्माण के मुद्दों पर चर्चा के बारे में कहा कि आरक्षण रहेगा। यह संविधान सम्मत है। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के मामले पर पूछे गए सवाल को टाल दिया।

    भागवत से मिले शाह

    बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद हैं। बैठक से पूर्व भागवत व शाह की लंबी बैठक हुई और माना जा रहा है कि पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के बारे में चर्चा की गई।

    एक साल में बढ़ी साढ़े पांच हजार शाखाएं

    संघ की शाखाओं में पिछले एक वर्ष में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। जहां 2012 से 2015 के बीच 10413 शाखाएं बढ़ी थीं, वहीं पिछले एक वर्ष में 5524 शाखाएं बढ़ी हैं और इस समय देशभर में कुल 56859 शाखाएं संचालित हैं।

    गणवेश बदलना लगभग तय

    संघ की इस बैठक में करीब 90 वर्ष बाद संघ गणवेश बदलना भी तय माना जा रहा है। खाकी नेकर की जगह संघ अब फुलपैंट अपना सकता है और यह ग्रे रंग की हो सकती है।

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