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मनोहर जोशी को छोड़ना पड़ा दशहरा रैली का मंच

शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी को बहुत बेआबरू होकर पार्टी की सालाना दशहरा रैली के मंच से जाना पड़ा क्योंकि रैली में आए शिवसैनिक लगातार उनके खिलाफ हाय-हाय और मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे। बुजुर्ग नेता ने दो दिन पहले शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस से साठगांठ का आरोप लगाया था। हालांकि जोशी

By Edited By: Published: Sun, 13 Oct 2013 09:24 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2013 11:56 PM (IST)

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी को बहुत बेआबरू होकर पार्टी की सालाना दशहरा रैली के मंच से जाना पड़ा क्योंकि रैली में आए शिवसैनिक लगातार उनके खिलाफ हाय-हाय और मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे। बुजुर्ग नेता ने दो दिन पहले शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस से साठगांठ का आरोप लगाया था।

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हालांकि जोशी रविवार सुबह ठाकरे के बांद्रा स्थित निवास 'मातोश्री' जाकर अपनी सफाई दे आए थे। इसके बावजूद उनके प्रति शिवसैनिकों का गुस्सा गम नहीं हुआ। यह गुस्सा तब और बढ़ गया, जब शिवाजी पार्क में आयोजित शिवसेना की परंपरागत रैली के मंच पर उद्धव के पहुंचने तक जोशी नहीं पहुंचे। उल्लेखनीय है कि दिवंगत शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के जीवनकाल में हुई ऐसी सभी रैलियों में पार्टी के अन्य नेता ठाकरे से पहले मंच पर पहुंच जाते थे।

पिछले वर्ष 17 नवंबर को बाल ठाकरे के निधन के बाद पार्टी अध्यक्ष बने उद्धव के मंच पर आने के बाद जोशी के आगमन से चिढ़े शिवसैनिकों ने उनके पहुंचते ही 'मनोहर जोशी हाय-हाय' और 'मनोहर जोशी मुर्दाबाद' के नारे लगाने शुरू कर दिए। उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे ने हाथ जोड़कर शिवसैनिकों को समझाने की कोशिश भी की। इसके बावजूद नारेबाजी जारी रहते देख जोशी खुद मंच छोड़कर चले गए। इस दौरान मंच पर उपस्थित उद्धव और उनके बेटे आदित्य सहित किसी नेता ने उन्हें रोकने की कोशिश भी नहीं की।

1966 में शिवसेना की स्थापना के बाद यह पहला अवसर था, जब शिवाजी पार्क में बाल ठाकरे बगैर पार्टी की सालाना रैली संपन्न हुई। इसमें प्रमुख वक्ता पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष उद्धव थे। बाला साहेब की तुलना में उद्धव को सौम्य वक्ता माना जाता है। उनकी राजनीतिक शैली भी बाल ठाकरे जैसी आक्रामक नहीं है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जोशी ने उद्धव की इसी सौम्यता को निशाना बनाते हुए उनकी आलोचना की थी, जिसकी वजह से उन्हें शिवसैनिकों का गुस्सा झेलना पड़ा।

रैली में उद्धव ने यह कहकर शिवसैनिकों का दिल जीतने की कोशिश की कि शिवसैनिक जो चाहेंगे, वही शिवसेना का नेतृत्व करेगा। उन्होंने शरद पवार और राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस शासन को हटाने के लिए ही उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के समर्थन का निर्णय लिया है।

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